ख़बरों में क्यों :
बिहार 2022 में कालाजार मुक्त प्रदेश बन जाएगा । इस लक्ष्य को हासिल करने को स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेश के 32 जिलों के सर्वाधिक कालाजार प्रभावित चिह्नित गांवों में बालू मक्खी के प्रभाव को कम करने के लिए चरणबद्ध ढंग से सिंथेटिक पायरोथायराइड दवा का छिड़काव कराया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु :
- स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, प्रदेश में महज दो ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ही बच गए हैं, जहां से कालाजार का उन्मूलन होना है। जिनमें सारण का इसुवापुर और सिवान जिला का गोरियाकोठी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग विशेष रणनीति पर कार्य कर रहा है।
- 32 जिलों के कालाजार प्रभावित चिह्नित गांवों में कराया गया सिंथेटिक पायरोथायराइड दवा का छिड़काव:-मरीजों को चिह्नित करने के साथ बालू मक्खी को खत्म करने को विभाग द्वारा प्रदेश के 32 जिलों के सर्वाधिक कालाजार प्रभावित गांवों में सिंथेटिक पायरोथायराइड दवा का छिड़काव कराया गया।
- दवा छिड़काव को बेहतर रूप से क्रियान्वित करने को राज्य और जिला स्तर पर कालाजार नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं । राज्य स्तर पर मुख्य मलेरिया कार्यालय में नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया।
कालाजार के लक्षण:
कालाजार रोग लिश्मैनिया डोनोवानी परजीवी के कारण होता है. इसका चक्र मनुष्य और बालू मक्खी पर निर्भर करता है. यह परजीवी मनुष्य तथा बालू मक्खी में ही जीवित रहता है. दो सप्ताह से अधिक बुखार व अन्य विपरीत लक्षण शरीर में महसूस होने लगता है.