खबरों में क्यों ?
बिहार वासियों के मछली की 7.33 लाख टन की जरूरत को पूरा करने के लिये राज्य सरकार ने नई योजना की शुरुआत की है. इसके तहत छह लाख 91 हजार हेक्टेयर के चौर क्षेत्र (आर्द्र भूमि) को मछली पालन के लिये उपयुक्त बनाने के प्रयास में सरकार जुट गयी है. मुख्यमंत्री समेकित चौर विकास योजना के तहत राज्य में यह कार्य किया जायेगा.
प्रमुख बिंदु :
- बिहार में अभी 7.33 लाख टन मछली की खपत होती है. लेकिन राज्य में वार्षिक उत्पादन सिर्फ 6.83 लाख टन का ही है.
- इस नई योजना के तहत राज्य में उपलब्ध लगभग 9.41 लाख हेक्टेयर आर्द्र भूमि में से करीब ढाई लाख हेक्टेयर ही मत्स्य पालन के लिये उपयुक्त है. यदि चौर को विकसित कर लिया जाता है तो मछली उत्पादन कई गुणा बढ़ाया जा सकता है.
- आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय पार्ट टू के तहत 2025 तक चाैर क्षेत्रों का विकास करने का संकल्प लिया गया है.
बिहार में मछली उत्पादन पर एक नजर
वार्षिक मांग – 7.33 लाख टन
वार्षिक उत्पादन – 6.83 लाख टन
मछली का आयात – 0.40 लाख टन
मछली का निर्यात – 0.33 लाख टन
(स्रोत= सरकार की 2022-23 की वार्षिक रिपोर्ट )