ख़बरों में क्यों ?
हिंदी साहित्य के प्रख्यात आलोचक और लेखक प्रोफेसर मैनेजर पांडेय का रविवार को देहांत हो गया है. वह 81 वर्ष के थे. उनका जन्म 23 सितंबर 1941 को बिहार गोपालगंज जिले के लोहटी गांव में हुआ था.
प्रमुख बिंदु
- मैनेजर पांडेय हिंदी में मार्क्सवादी आलोचना के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक रहे हैं. उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से पढ़ाई की थी.
- वाणी प्रकाशन के अनुसार, मैनेजर पांडेय पिछले साढे़ तीन दशकों से हिंदी आचोलना में सक्रिय रहे थे. उन्हें गंभीर और विचारोत्तेजक आलोचनात्मक लेखन के लिए पूरे देश में जाना-पहचाना जाता है
- वह आलोचनात्मक लेखन के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित भी हुए. इनमें हिंदी अकादमी दिल्ली का शलाका सम्मान, राष्ट्रीय दिनकर सम्मान, रामचंद्र शुक्ल शोध संस्थान, वाराणसी का गोकुल चंद्र शुक्ल पुरस्कार और दक्षिण भारत प्रचार सभा का सुब्रह्मण्य भारती सम्मान आदि शामिल हैं.
- उनकी प्रमुख कृतियों में ‘शब्द और कर्म’, ‘साहित्य और इतिहास-दृष्टि’, ‘भक्ति आंदोलन और सूरदास का काव्य’, ‘सूरदास (विनिबंध)’, ‘साहित्य के समाजशास्त्र की भूमिका’, आदि प्रमुख हैं.