भारत ने हाल ही में अंटार्कटिका में 40 वां वैज्ञानिक अभियान शुरू किया है। इसके साथ, अंटार्कटिका में भारत के वैज्ञानिक अभियान के चार दशक पूरे हो गए हैं। इस नए अभियान के 43 सदस्यों वाले समूह ने गोवा तट से प्रस्थान किया। चार्टर्ड आइस-क्लास पोत एमवी वासिली गोलोवनिन (MV Vasiliy Golovnin) में सवार यह दल 30 दिन में अंटार्कटिका पहुँच जाएगा। वहां के 43 सदस्यों में से 40 को छोड़ने के बाद, स्टोर अप्रैल में भारत लौट आएगा। साथ ही, यह वहां पहले से मौजूद वैज्ञानिक टीम को भी वापस लाएगा।
नेशनल सेंटर फ़ॉर पोलर एंड मरीन रिसर्च (NCPOR) के अनुसार, जो पूरे भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम का प्रबंधन करता है, अभियान में जलवायु परिवर्तन, भू-विज्ञान, महासागर अवलोकन, बिजली और चुंबकीय प्रवाह माप, पर्यावरण निगरानी आदि से संबंधित वैज्ञानिक परियोजनाएं शामिल हैं। यह वहां मौजूद वैज्ञानिकों को भोजन, ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं के परिवहन में भी मदद करेगा।
भारतीय अंटार्कटिक अभियान की शुरुआत वर्ष 1981 में हुई जिसमें डॉ. एस.ज़ेड. कासिम के नेतृत्व में 21 वैज्ञानिकों और सहायक कर्मचारियों का समूह शामिल था। अंटार्कटिका में वर्तमान में भारत के तीन स्थायी आधार हैं – दक्षिण गंगोत्री, मैत्री और भारती, जिनमें से मैत्री और भारती संचालित हैं।