क्या है ‘ चहक 2.0’ कार्यक्रम
स्कूल में रेडिनेस का कार्यक्रम ‘ चहक ‘ किलकारी की परिकल्पना हैं. यूनिसेफ के सहयोग से इसका 24 दिनों का शिक्षण मॉड्यूल बना और 2018 से लेकर कोरोना काल के पहले तक यह दो ज़िलों पटना तथा गया में चलाया गया. इसका फलाफल उत्साहजनक रहा , जिसे देखते हुए राज्यभर में इसे चलाने का निर्णय शिक्षा विभाग ने लिया गया है .
प्रमुख बिंदु :
इस कार्यक्रम का नाम पहले ‘ नूपुर ‘ रखने का प्रस्ताव दिया गया था , लेकिन सहमति चहक 2.0 नाम पर बनी. इसको लेकर एससीईआरटी ने 90 दिनों का शिक्षण मॉड्यूल तैयार किया हैं.
प्रमुख बिंदु :
- यह विशेष अभियान बिहार शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा राज्य भर में चलाया जाएगा।
- अध्ययन सामग्री तैयार करने के लिए निदेशक किलकारी के नेतृत्व में एक उप-समिति का गठन किया गया है। समिति एससीईआरटी द्वारा तैयार तीन माह के मॉडल को दस दिन में अंतिम रूप देगी।
- इस नये कार्यक्रम के माध्यम से पहली बार स्कूल आने वाले बच्चों का विभिन्न प्रकार की गतिविधियों द्वारा पूरे स्कूल परिसर से उनकी दोस्ती का लक्ष्य रखा है। गतिविधियां ऐसी कराई जाएंगी, जिसमें बच्चों को आनंद आए। वे स्वत: स्कूल आने को प्रेरित हों।
- बच्चों को कतार में खड़ा होना, स्कूल आकर सलीके से बैठना, शिक्षकों को सम्मान देना, गलती होने पर ‘सॉरी बोलना आदि सिखाया जाएगा। इसके साथ ही खेल-खेल में ही उनके अंतस में पढ़ाई की भी नींव रखी जाएगी।