भारत की दस नई आद्रभूमियों को ‘रामसर स्थल’ का दर्जा प्रदान किया गया है। इसके साथ ही भारत में रामसर स्थलों की कुल संख्या 37 हो गई है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने 28 जनवरी, 2020 को इसकी घोषणा करते हुए कहा कि अब भारत में 37 रामसर स्थल कुल 1067939 हैक्टेयर में फैला है।
10 नए रामसर स्थलों की सूची
- नंदुर मदमहेश्वर: महाराष्ट्र (महाराष्ट्र का पहला रामसर स्थल
- केशोपुर-मिआनी-पंजाब
- ब्यास संरक्षण रिजर्व- पंजाब
- नांगल – पंजाब
- नवाबगंज-उत्तर प्रदेश
- पार्वती आगरा- उत्तर प्रदेश
- समन- उत्तर प्रदेश
- समसपुर- उत्तर प्रदेश
- सांडी- उत्तर प्रदेश
- सरसई नवर- उत्तर प्रदेश
रामसर आद्रभूमि क्या है.
- रामसर, ईरान में 1971 में हस्ताक्षरित आद्रभूमि सम्मेलन अंतर-सरकारी संधि है, जो आद्रभूमि और उनके संसाधनों के संरक्षण और बुद्धिमतापूर्ण उपयोग के लिए राष्ट्रीय कार्य और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का ढांचा उपलब्ध कराती है।
- रामसर आद्रभूमि का सचिवालय स्विटजरलैंड के ग्लैंड में स्थित है जो आईयूसीएन के साथ साझा करता है।
- वर्तमान में इस सम्मेलन में 158 करार करने वाले दल हैं।
- एशियन वेटलैंड्स कोष (1989) के अनुसार वेटलैंड्स का देश के क्षेत्रफल (नदियों को छोड़कर) में 18.4 प्रतिशत हिस्सा है, जिसके 70 प्रतिशत भाग में धान की खेती होती है।
- भारत 1982 से इस समझैते का सदस्य है. भारत के अधिकांश आद्रभूमि गंगा, कावेरी, कृष्णा, गोदावरी और ताप्ती जैसी प्रमुख नदी प्रणालियों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं।
- भारत में वर्तमान में 37 रामसर आद्रभूमि हैं।
- भारत में आद्रभूमि का अनुमानित क्षेत्रफल 4.1 मिलियन हेक्टेयर (सिंचित कृषि भूमि, नदियों और धाराओं को छोड़कर) है, जिसमें से 1.5 मिलियन हेक्टेयर प्राकृतिक और 2.6 मिलियन हेक्टेयर मानव निर्मित है। कुल भौगोलिक क्षेत्र में आद्र भूमि 4.7 प्रतिशत है।
- पर्यावण वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय आद्र भूमि संरक्षण के लिए नोडल मंत्रालय है। यह 1985 से रामसर स्थलों सहित आद्र भूमि के संरक्षण और प्रबंधन के लिए प्रबंधनकारी योजना के डिजाइन और कार्यान्वन में राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को समर्थन दे रहा है।