बिहार मंत्रिमंडल ने मंगलवार को कक्षा 1 से 12 वर्ग के लिए 4 लाख से अधिक पंचायत राज संस्थओं और नगर निकायों के शिक्षकों के लिए सेवा नियमों को मंजूरी दे दी है। उन्हें अब सरकारी शिक्षकों की तरह कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ ) योजना और अंतर-जिला स्थानांतरण का लाभ मिलेगा। इसके अनुसार, शिक्षकों को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ ) का लाभ सितंबर, 2020 से ही दिया जाएगा। वहीं इन शिक्षकों के मूल वेतन में 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जिसका लाभ एक अप्रैल, 2021 से मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ने गांधी मैदान से इसकी घोषणा की थी। नियोजित शिक्षकों के वेतन वृद्घि और इपीएफ में पैसा जमा करने पर राज्य सरकार के खजाने पर प्रतिवर्ष 2765 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा। इसमें 815 करोड़ इपीएफ के लिए और वेतन बढ़ोतरी के लिए 1,950 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। ईपीएफ का लाभ दिया जाना भी एक तरह से वेतन वृद्घि ही है। शिक्षकों की मृत्यु पर इसमें ढाई से छह लाख तक का राशि भी देने का प्रावधान है। इसके अलावे बैठक में सामान्य प्रशासन विभाग के तहत बिहार उत्कृष्ट खिलाड़ियों की नियुक्ति (संशोधन) नियमावली, 2020 की स्वीकृति तथा सामान्य प्रशासन विभाग के ही तहत बिहार न्यायिक सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली, 2020 की भी स्वीकृति दी गई।
ऐसे में कहा जा रहा है नीतीश सरकार ने चुनावी घोषणा की है। वैसे, शिक्षक संघ सरकार के इस फैसले से ज्यादा खुश नहीं दिख रहे हैं। इसे विधानसभा चुनावों से पहले एक राजनीतिक चाल के रूप में देखा जा रहा है, कहा जा रहा है कि शिक्षकों के समान काम के बदले समान वेतन की लंबे समय से लंबित मांग को भी स्वीकार नहीं किया गया है।