बिहार पर कर्ज का बोझ बढ़ा: 2019-2020 में 13% बढ़कर 1,90,899 करोड़ रु

बिहार पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है। वर्ष 2019-2020 में, यह लगभग 13 प्रतिशत बढ़कर 1,90,899 करोड़ हो गया है। हालांकि, केंद्र सरकार से राज्य का कर्ज कम हुआ है और 2534 करोड़ से घटकर 1279 करोड़ रह गया है। आंतरिक ऋण 16,134 करोड़ से बढ़कर 27,866 करोड़ हो गया। बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2020-2021 के अनुसार, कोरोना हिट ने इस बार बिहार की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दिया है।

रिपोर्ट के मुताबिक बिहार का सकल घरेलू उत्पाद 10.5 प्रतिशत है, जबकि भारत का 9.3 प्रतिशत है। वर्ष 2019-2020 में वर्तमान मूल्य पर बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पादन (एसजीडीपी) 6,11.804 करोड़ रुपये और 2011-12 में स्थिर मूल्य पर 4,14,977 करोड़ रुपये रहा। वहीं, 2019-2020 में राज्य में निवल राज्य घरेलू उत्पाद वर्तमान मूल्य पर 5,62,710 करोड़ रुपये और स्थिर मूल्य पर 3,77,376 रुपये रहा। इस आधार पर प्रति व्यक्ति सकल राज्य घरेलू उत्पाद वर्तमान मूल्य पर 47,641 से बढ़कर 50,735 रुपये हो गया है।

सकल घरेलू उत्पाद की अनुमानित वृद्धि

वृद्धि वर्ष 2019-20 में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की अनुमानित वृद्धि दर घटी है, जबकि बिहार में इस दौरान दो अंकों में वृद्धि दर दर्ज की गई। वर्ष 2018-19 में ये 9.3 फीसदी थी, जबकि 2019-20 में बिहार की अर्थव्यवस्था में 10.5 फीसदी वृद्धि हुई। यह भारतीय अर्थव्यवस्था की अपेक्षा उच्च वृद्धि दर थी, जिसका मुख्य कारण राज्य में तृतीयक क्षेत्र में अधिक वृद्धि दर है, जो 11.2 है, जबकि दो अन्य क्षेत्रों में अपेक्षाकृत कम दर से वृद्धि हुई है।

राजकोषीय घाटा

इस साल राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 2.9 प्रतिशत था, जो वर्ष 2018-19 में 2.0 था। इसे तीन प्रतिशत से कम होना चाहिए।

कृषि क्षेत्र

2019-20 में अर्थव्यवस्था के मुख्य वाहक की वृद्धि दर 6 प्रतिशत गिर गई। कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन में वृद्धि दर में गिरावट आई है, जबकि सड़क परिवहन और परिवहन संबंधी सेवाओं में वृद्धि हुई है। वहीं, बिजली, गैस, जलापूर्ति सेवाओं (20.3 प्रतिशत), प्रसारण सेवाओं (11.7 प्रतिशत), सड़क परिवहन (15.2 प्रतिशत) और सार्वजनिक प्रशासन (11.3 प्रतिशत) ने योगदान दिया। सर्वेक्षण ने उम्मीद जताई कि प्राथमिक क्षेत्र में विकास की क्षमता राज्य को आने वाले वर्षों में उच्च विकास दर दर्ज करने में मदद करेगी।

राजस्व प्राप्ति 

वर्ष 2018-19 में बिहार में कुल राजस्व प्राप्ति 1,31,793 करोड़ थी, जो इस बार घटकर 1,24,233 रह गई है और यह लगभग 5.3% गिर गई है। राजस्व प्राप्तियों में गिरावट ने भी राज्य में राजस्व व्यय को प्रभावित किया है और यह 1,23,533 करोड़ रुपये है। 2004-05 के बाद राज्य का बजट अधिशेष अपने 699 करोड़ के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। पुलिस-प्रशासन ने राज्य सरकार को अनुमान से अधिक राजस्व जुटाया है। बजट अनुमान के अनुसार, 53 करोड़ पुलिस को और 23 करोड़ अन्य प्रशासनिक सेवाओं को दिए जाने थे, जबकि पुलिस ने 96 करोड़ और प्रशासनिक सेवाओं को 137 करोड़ दिए। सरकार को प्रत्यक्ष कर में सबसे अधिक राजस्व, वाहन कर से 2713 करोड़, जबकि 440 करोड़ बिजली शुल्क और कर से प्राप्त हुए हैं। सरकार को भू-राजस्व कर से सबसे बड़ा झटका लगा है और उसे 1100 करोड़ के अनुमानित बजट के मुकाबले केवल 440 करोड़ राजस्व प्राप्त हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Join Our Telegram