बिहार में राजनीतिक दल महामारी के प्रकोप की समाप्ति तक राज्य चुनाव स्थगित करने की मांग कर रहे हैं।निवार्चन आयोग के लिये कानून के तहत यह अनिवार्य है कि वह लोकसभा या विधानसभा के पाँच वर्ष के कार्यकाल के समाप्त होने से पूर्व छह माह के भीतर किसी भी समय चुनाव आयोजित कराए।इस प्रकार बिहार के मामले में चुनाव आयोग को 29 नवंबर को निवर्तमान सदन की समाप्ति से पूर्व विधानसभा चुनाव कराना चाहिये।
नियमों के अनुसार, आमतौर पर एक बार चुनावों की घोषणा के बाद वे तय कार्यक्रम के अनुसार ही आयोजित किये जाते हैं।हालाँकि अपवाद स्वरूप कुछ मामलों में असाधारण परिस्थितियों के मद्देनज़र इस प्रक्रिया को स्थगित किया जा सकता है ।
उपाय क्या है – जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 153 के अनुसार, निवार्चन आयोग आवश्यकता अनुसार निर्धारित तिथि में परिवर्तन करके चुनाव आयोजित कराने की समय सीमा में विस्तार कर सकता है, हालाँकि इस तरह के विस्तार को लोकसभा या विधानसभा के सामान्य विघटन की तारीख से पूर्व होना अनिवार्य है।
पूर्व का उद्धरण – वर्ष 1991 में निर्वाचन आयोग ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 153 के इसी प्रावधान को संविधान के अनुच्छेद 324 के साथ प्रयोग करते हुए तमिलनाडु में चुनाव अभियान के दौरान राजीव गांधी की हत्या के बाद तीन सप्ताह के लिये तत्कालीन संसदीय चुनावों को स्थगित कर दिया था। मार्च 2020 में ही महामारी के कारण निर्वाचन आयोग द्वारा 18 राज्यसभा सीटों के चुनाव स्थगित कर दिये गए थे।
चुनौतियाँ –
1.भारतीय संविधान अथवा किसी अन्य कानून में ऐसे कोई भी विशिष्ट प्रावधान नहीं है, जो उन परिस्थितियों को निर्दिष्ट करता हो, जिनके तहत चुनाव स्थगित किये जा सकते हैं।
2.जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 153 के तहत चुनाव की समय सीमा में विस्तार करने की शक्ति का प्रयोग केवल चुनाव की अधिसूचना जारी करने के बाद ही किया जा सकता है।
3.यदि चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव स्थगित करना चाहता है तो उसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत अपनी असाधारण शक्ति का प्रयोग करना होगा।निर्वाचन आयोग को चुनाव आयोजित न करा पाने की अपनी असमर्थता के बारे में सरकार को अधिसूचित करना होगा, जिसके पश्चात् भारत सरकार और राष्ट्रपति इस संबंध में आगे की रणनीति निर्धारित करेंगे।
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Aapka Jo book Bihar current affairs 2020 hai
Kya Delhi book stall me Mila jayega ya online ke madhyam se
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