बौद्ध धर्म
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। बौद्ध का अर्थ है प्रकाश या जाग्रत। गौतम बुद्ध के जन्म पर, कालदेव और कौंडिन्य नामक एक ब्राह्मण ने भविष्यवाणी की कि यह बच्चा एक चक्रवर्ती राजा या भिक्षु होगा। चार दृश्यों ने गौतम के मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाला – 1 बूढ़ा आदमी, 2 बीमार व्यक्ति, 3 एक मृत व्यक्ति का अर्थी और 4 एक सन्यासी।
29 वर्ष की आयु में, उन्होंने अपना घर त्याग दिया, जिसे बौद्ध धर्मग्रंथों में महाभिनिष्करमण कहा जाता है। बुद्ध के प्रारंभिक गुरु अलार कलाम और रुद्र रामपुत्र थे। छह वर्ष की कठोर तपस्या के बाद, 35 वर्ष की आयु में, वैशाख पूर्णिमा को गया के पास उरुवेला नामक स्थान के पास निरंजना नदी (फल्गु नदी) के किनारे पीपल के पेड़ के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ, जिसे निर्वाण कहा जाता है।
निर्वाण प्राप्ति के बाद बुध्द ने सारनाथ ( ऋषिपतन ) में अपने पांच साथियों को बौध्द धर्म में दिक्षित किया, जिसे “धर्मचक्र प्रवर्तन” कहा गया है। प्रजापति गौतमी के महिलाओं के बौध्द संघ में प्रवेश के परामर्श को उनहोंने नकार दिया, लेकिन आनंद के परामर्श पर स्त्रियां को संघ में प्रवेश दे दिया .
गौतम बौध्द (जीवन परिचय ) जन्म 563 ई.पु. लुम्बिनी ( कपिलवस्तु नेपाल ) बचपन का नाम :- सिध्दार्थ पिता :- शुध्दोधन (शाक्यगण के प्रधान ) माता:- महामाया (कोलियागन की कन्या ) मौसी :- प्रजारती गौतमी पत्नी:- यशोधरा (बिम्बा, गोप, भद्राकच्छा ) पुत्र:- राहुल घोड़े का नाम:- कन्थक सारथी का नाम:- छन्न मृत्यु :- 483 ई. पु. ( कुशीनगर, उ. प्र.) |
महात्मा बुध्द के जीवन से प्रत्यक्ष रूप से सम्बंधित स्थान
- कपिलवस्तु :(लुम्बिनी ) जन्म एवं आरंभिक जीवन
- वैशाली : प्रथम गुरु आलार कालाम के आश्रम में तप
- राजगृह : रुद्रक रामपुत्र से मिलकर सत्य को जानने का प्रयास
- बोधगया : (उरुवेला ) ज्ञान की प्राप्ति (मगध में स्थित )
- सारनाथ : (प्रथम उपदेश
- वाराणसी : यस नामक धनि श्रेष्ठिपुत्र को शिष्य बनाया। वाराणसी काशी महाजनपद की राजधानी थी।
- राजगृह : मगध की राजधानी राजगृह में दूसरा, तीसरा व चौथा वर्षाकाल बिताया बिम्बिसार ने वेणुवन विहार बनाया।
- वैशाली : पांच वर्षाकाल बिताया। लिंच्छक्यों ने इनके निवास हेतु कुटाग्रशाला का निर्माण करवाया।आम्रपाली भी यही शिष्य बनी। पहली बार महिलाओं को संघ में प्रवेश दिया
- सुसुमारगिरि : भग्ग गण की राजधानी में आठवां वर्षाकाल बिताया
- कौशाम्बी : वत्स महाजनपद की राजधानी में नौवां वर्षाकाल व्यतीत किया गया
- वेरंज : मथुरा (शूरसेन ) के समीप यहाँ 12 वां वर्षाकाल व्यतीत किया गया
- श्रावस्ती : (कौशल की राजधानी ) सर्वाधिक 21 वर्षाकाल व्यतीत किए
- पावा : पावा के मल्ल गणराज्य की राजधानी, यहाँ चुण्ड नामक लुहार के आतिथ्य में विषाक्त भोजन खाने से रक्तातिसार रोग हो गया
- कुशीनारा : कुशीनारा के मल्लों की राजधानी, यहाँ महात्मा बुध्द ने शरीर त्याग दिया
बौध्द धर्म के पतन के कारण
- बौद्ध धर्म में कर्मकांडों का प्रचलन।
- बौद्ध भिक्षुओं का आम लोगों का जीवन से दूर जाना ।
- पाली भाषा त्याग कर संस्कृत को अपनाना ।
- मूर्तिपूजा का प्रारंभ भक्तों से भारीमात्रा में दान ।
- ब्राह्राण धर्म का पुनरुत्थान ।
- बौद्ध विहारों में कुरीतियाँ ।
- कुछ शासकों का बौद्ध विरोधी दृष्टिकोण ।
परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य
- प्रथम बौद्ध संगीति 483 ई. पू. राजगृह में आजातशत्रु के शासनकाल में हुआ था, इसके अध्यक्ष महकस्सप थे ।
- दूसरा बौद्ध संगीति 383 ई. पू. वैशाली में कालाशोक के शासनकाल में हुआ था, इसके अध्यक्ष सबक्मीर था।
- तीसरा बौद्ध संगीति 250 ई. पू. पाटलिपुत्र में अशोक के शासनकाल में हुआ था, इसके अध्यक्ष मोग्गलिपुत्त तिस्स थे।
- चौथा बौद्ध संगीति 72 ई. पू.कुण्डलवन में कनिष्क के शासनकाल में हुआ था, इसके अध्यक्ष वसुमित्र थे।
- बौद्ध ने अपना उपदेश पाली भाषा में दिया था।
- बौद्ध धर्म का त्रिरत्न बुद्ध, संघ और धम्म है।
- सर्वप्रथम बौद्ध ने सारनाथ में संघ की स्थापना की थी।
- बौद्ध धर्म दो संप्रदाय में विभाजित है हियायन संप्रदाय और महायान संप्रदाय।
- बौद्ध धर्म में प्रवेश को उपसम्पदा कहा जाता है।
- बौद्ध धर्म में किसी पवित्र अवसर पर भिक्षुओं के एकत्र होकर चर्चा करने को “उपोसथ” कहा जाता है।
- बौद्ध ग्रन्थ के अनुसार छठी सदी ई. पू. ने भारत में लगभग 62 संप्रदाय थे।
- बौद्ध धर्म के पवित्र ग्रन्थ को जातक कहा जाता था।