भारत और जापान ने भारत के सशस्त्र बलों तथा जापान के आत्मरक्षा बलों के मध्य आपूर्ति और सेवाओं के पारस्परिक प्रावधान (Mutual Logistics Support Arrangement- MLSA) के अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं।
- द्विपक्षीय प्रशिक्षण गतिविधियों, संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना के ऑपरेशन, मानवतावादी अंतर्राष्ट्रीय राहत और पारस्परिक रूप से सहमत अन्य गतिविधियों में संलग्न रहते हुए आपूर्ति और सेवाओं के परस्पर प्रावधान से दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच घनिष्ठ सहयोग के लिये एक सक्षम ढाँचे की स्थापना की जा सकेगी।
- यह अनुबंध भारत और जापान के सशस्त्र बलों के बीच अंतःसक्रियता बढ़ाने के साथ-साथ दोनों देशों के मध्य विशेष रणनीतिक और वैश्विक भागीदारी के तहत द्विपक्षीय रक्षा गतिविधियों में वृद्धि करेगा।
- अनुबंध में सम्मिलित आपूर्ति और सेवाओं में भोजन, पानी, परिवहन (एयरलिफ्ट भी सम्मिलित), पेट्रोलियम, कपड़े, संचार, चिकित्सा सेवाएँ, सुविधाओं और घटकों का उपयोग एवं मरम्मत तथा रखरखाव सेवाएँ आदि सम्मिलित हैं।
- भारत द्वारा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्राँस, ओमान और सिंगापुर के साथ इसी तरह के आपूर्ति और सेवाओं के पारस्परिक प्रावधान के (MLSA) समझौते किये गए हैं।
भारत के लिये महत्ता
- अगस्त 2017 में जिबूती में अपना पहला विदेशी सैन्य अड्डा बनाने के पश्चात् से ही चीन हिंद महासागर क्षेत्र में तीव्र विस्तार की रणनीति अपना रहा है। चीन की इस विस्तारवाद की रणनीति की पृष्ठभूमि में भारत के लिये इस प्रकार के समझौते महत्त्वपूर्ण हैं।
- चीन निश्चित रूप से अपनी पनडुब्बियों और युद्धपोतों के लिये पाकिस्तान में कराची और ग्वादर बंदरगाहों तक पहुँच रखता हैं। यह कंबोडिया, वानुअतु और अन्य देशों में सैन्य बेस बनाने के लिये भी प्रयास कर रहा है ताकि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को और अधिक मज़बूत किया जा सके।
- भारत के करीब किसी भी समय हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन के छह से आठ युद्धपोत तैनात हैं। अपने नौसैनिक बलों का आधुनिकीकरण करते हुए चीन ने लंबी दूरी की परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों और एंटी-शिप क्रूज़ मिसाइलों से लेकर पनडुब्बियों तथा विमानवाहक पोतों तक पिछले छह वर्षों में 80 से अधिक युद्धपोतों का संचालन किया है।