महामारी के प्रकोप के कारण छत्तीसगढ़ में भारत की पहली राज्य स्तरीय ई-लोक अदालत की शुरुआत की गई। इसका उद्घाटन छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पी. आर. रामचंद्र मेनन द्वारा किया गया। इस दौरान राज्य के विभिन्न स्थानों पर लगभग 195 खंडपीठों का गठन किया गया और एक दिन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कुल 2270 मामलों का निपटारा किया गया।
आँकड़ों के अनुसार, रायपुर में कुल मामलों में से सबसे अधिक 515 मामले सुलझाए गए। ई-लोक अदालत की यह नवीन अवधारणा, न्यायिक प्रणाली के लिये खासतौर पर मौजूदा COVID-19 के समय में काफी मददगार साबित हो सकती है।
लोक अदालतें– ऐसे मंच या फोरम होते हैं जहाँ विवादित पक्षों के बीच परस्पर समझौते के माध्यम से विवादों का समाधान किया जाता है। यह सामान्य न्यायालयों से अलग होता है। हम कह सकते हैं कि मौजूदा लोक अदालतों की संकल्पना गांवों में लगने वाली पंचायतों पर आधारित हैं। लोक अदालतों का आयोजन राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा अन्य हितधारकों के साथ मिल कर किया जाता है। लोक अदालतों में सभी दीवानी मामले, वैवाहिक विवाद, नागरिक मामले, भूमि विवाद, मज़दूर विवाद, संपत्ति बँटवारे संबंधी विवाद, बीमा और बिजली संबंधी विवादों का निपटारा किया जाता है। विधि के तहत ऐसे अपराध जिनमें राजीनामा नहीं हो सकता तथा ऐसे मामले जहाँ संपत्ति का मूल्य एक करोड़ रुपए से अधिक है, का निपटारा लोक अदालतों में नहीं हो सकता है।