चर्चा में क्यों?
बांग्लादेश में कई सप्ताह तक चले हिंसक प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध अनिश्चितता के दौर में पहुंच गए हैं।
सेना प्रमुख ने घोषणा की है कि अब देश को एक अंतरिम सरकार चलाएगी।
बांग्लादेश का संक्षिप्त राजनीतिक इतिहास:
1971 में बांग्लादेश के गठन के बाद अवामी लीग के शेख मुजीबुर रहमान देश के पहले प्रधानमंत्री बने।
हालाँकि, 1975 में तख्तापलट के दौरान उनकी हत्या कर दी गई।
1975-1990:
- बांग्लादेशी सेना ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसकी शुरुआत 1975 में मुख्य न्यायाधीश अबू सदात मोहम्मद सईम की राष्ट्रपति के रूप में नियुक्ति से हुई, जिसके बाद सैन्य शासन स्थापित हुआ।
- जनरल जियाउर रहमान 1977 में राष्ट्रपति बने लेकिन 1981 में उनकी हत्या कर दी गयी।
- उनके उत्तराधिकारी अब्दुस सत्तार को 1982 में सेना प्रमुख एचएम इरशाद के नेतृत्व में तख्तापलट में हटा दिया गया, जिन्होंने बाद में बड़े पैमाने पर अशांति के कारण 1990 में इस्तीफा दे दिया।
नागरिक सरकारें:
खालिदा जिया और शेख हसीना (शेख मुजीबुर रहमान की बेटी) ने लगातार दो कार्यकाल तक राष्ट्रपति पद पर कार्य किया, तथा 1996 में तख्तापलट का प्रयास भी किया गया।
खालिदा का कार्यकाल 2006 में अशांति के कारण समाप्त हो गया, जिसके परिणामस्वरूप 2008 तक सैन्य प्रभाव वाली कार्यवाहक सरकार बनी रही।
2008 के बाद स्थिरता:
2008 में सत्ता में वापस आने के बाद हसीना ने यह सुनिश्चित किया कि सेना वापस अपने बैरकों में लौट आए।
2010 में, सुप्रीम कोर्ट ने सैन्य हस्तक्षेप को सीमित कर दिया और संविधान में धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को मजबूत किया।
भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंध:
भारत और बांग्लादेश के बीच इतिहास, भाषा, संस्कृति और कई अन्य समानताएं हैं।
ऐतिहासिक संबंध:
- बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के समय से चले आ रहे हैं, जब भारत ने बांग्लादेश को पाकिस्तान से स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण सैन्य और भौतिक सहायता प्रदान की थी।
- हालाँकि, 1970 के दशक के मध्य में सीमा विवाद, उग्रवाद और जल-बंटवारे के मुद्दों के कारण संबंध खराब हो गए, खासकर तब जब बांग्लादेश में सैन्य शासन का नियंत्रण हो गया।
- 1996 में शेख हसीना के प्रधानमंत्री बनने पर द्विपक्षीय संबंधों में स्थिरता बहाल हुई, जिसके परिणामस्वरूप गंगा जल बंटवारा संधि पर हस्ताक्षर हुए ।
- तब से, भारत और बांग्लादेश ने व्यापार, ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी और रक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपने सहयोग को मजबूत किया है।
आर्थिक एवं वाणिज्यिक संबंध:
- बांग्लादेश भारत का 25 वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसका द्विपक्षीय व्यापार 12.9 अरब डॉलर है।
- व्यापार में निर्यात का प्रभुत्व है, तथा बांग्लादेश भारत का आठवां सबसे बड़ा निर्यात साझेदार है।
- वित्त वर्ष 2024 में बांग्लादेश को भारत का निर्यात 9.5 प्रतिशत घटकर 11 अरब डॉलर रह गया ।
- अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों के साथ-साथ बांग्लादेश भी भारतीय ऑटो निर्यात के लिए एक प्रमुख गंतव्य है ।
- 2022 में, दोनों देशों ने व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) पर एक संयुक्त व्यवहार्यता अध्ययन पूरा किया ।
- यह समझौता महत्वपूर्ण है क्योंकि बांग्लादेश 2026 के बाद अपना सबसे कम विकसित देश (LDC) का दर्जा खो देगा, जिससे भारतीय बाजारों में उसकी शुल्क-मुक्त और कोटा-मुक्त पहुंच प्रभावित होगी।
- परिणामस्वरूप, बांग्लादेश का लक्ष्य भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप देना है ।
शक्ति एवं ऊर्जा:
- बांग्लादेश भारत से 1160 मेगावाट बिजली आयात करता है ।
- मैत्री सुपर थर्मल पावर प्लांट और भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन जैसी परियोजनाएं प्रमुख पहल हैं।
- भारत विभिन्न साझेदारियों के माध्यम से बांग्लादेश के ऊर्जा क्षेत्र को समर्थन देता है।
विकास साझेदारी:
- भारत ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बांग्लादेश को 8 अरब अमेरिकी डॉलर की राशि के चार ऋण प्रदान किए हैं।
- उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाएं (एचआईसीडीपी) भारत की सहायता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो मानव संसाधन विकास और क्षमता निर्माण पर केंद्रित हैं।
सांस्कृतिक सहयोग:
- ढाका में इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र और भारतीय सांस्कृतिक केंद्र के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान की जाती है ।
- कला, नृत्य और भाषा के कार्यक्रम लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देते हैं।
- बांग्लादेश युवा प्रतिनिधिमंडल कार्यक्रम युवा प्रतिभाओं को भारत आने के लिए आकर्षित करता है।