वर्तमान वर्ष में लघु वनोत्पाद( minimum forest produce ) हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के तहत कुल खरीद (सरकारी और निजी व्यापार ) 2000 करोड़ रुपए से अधिक हो गई है।हाल ही में 16 राज्यों मे इस योजना के तहत चल रही सरकारी खरीद के अंतर्गत 79.42 करोड़ रुपए की रिकॉर्ड खरीद हुई है।COVID -19 के इस संकटपूर्ण समय में, आदिवासियों के जीवन और आजीविका के लिए बहुत आवश्यक सिद्ध हुई है।
योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ 52.80 करोड़ रुपए के 20270 मीट्रिक टन लघु वनोत्पाद की खरीद के साथ प्रथम स्थान पर है।
26 मई, 2020 को जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने लघु वनोत्पाद हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के तहत तहत 23 नई वस्तुओं को शामिल करने की भी सिफारिश की थी।
लघु वनोत्पाद (Minor Forest Produce-MFP):
- जनजातीय लोगों की आजीविका का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत लघु वनोत्पाद है। इसमें पौधीय मूल के सभी गैर-काष्ठ उत्पाद जैसे- बाँस, बेंत, चारा, पत्तियाँ, गम, वेक्स, डाई, रेज़िन और कई प्रकार के खाद्य जैसे मेवे, जंगली फल, शहद, लाख, रेशम आदि शामिल हैं।
- ये लघु वनोत्पाद जंगलों के नज़दीक रहने वाले लोगों को जीविका और नकद आय दोनों उपलब्ध कराते हैं। ये उनके खाद्य, फल, दवा और अन्य उपभोग वस्तुओं का एक बड़ा भाग है ।
- वन अधिकार अधिनियम, 2011 पर राष्ट्रीय समिति की एक रिपोर्ट के अनुसार अनुमानतः 100 मिलियन लोग अपनी आजीविका का स्रोत लघु वनोत्पाद के संग्रह और विपणन से प्राप्त करते हैं।
- जनजातीय लोग अपनी वार्षिक आय का 20-40% लघु वनोत्पाद से प्राप्त करते हैं।
- राज्यों ने वन धन केंद्रों को बाज़ारों से लघु वनोत्पाद की खरीद हेतु ‘प्राथमिक खरीद एजेंट’ के रूप में नियुक्त किया है। प्रधानमंत्री वन धन कार्यक्रम के अंतर्गत 3.6 करोड़ जनजातीय लाभार्थियों हेतु 21 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश में 1126 वन धन विकास केंद्रों को स्वीकृति दी गई है।