मधुबनी के जयनगर में रहने वाले 80 वर्षीय कमलकांत झा को मैथिली भाषा में प्रकाशित कहानी संग्रह ‘गाछ रसल अछि’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।
कमलाकांत झा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं। संघ के प्रचार के लिए वे जहाँ भी गए मैथिली का प्रसार किया। वे मधुबनी के जयनगर में मैथिली कॉलेज में प्रोफेसर थे और वहीं से सेवानिवृत्त हुए। उनका गाँव हरिपुर है। उसी गाँव के उपेन्द्रनाथ झा व्यास को 50 साल पहले साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। यानी कमलाकांत झा इस गाँव के दूसरे लेखक हैं जिन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है।
मैथिली में बाल साहित्य के लिए अकादमी पुरस्कार सियाराम झा सरस को दिया गया। उनको सोनहुल ‘ इजोत बाला खिड़की ‘ के लिए पुरस्कार दिया गया।
मैथिली में युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार डॉ. सोनू कुमार झा को उनके कहानी संग्रह ‘ गस्सा ‘ के लिए पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।
बिहार के ही गया के रहने वाले हुसैन-उल-हक को उर्दू उपन्यास ‘अमावस में ख्वाव’ के लिये साहित्य अकादमी सम्मान दिया गया है। इस तरह वर्ष 2020 के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कारों की लिस्ट में बिहार से तीन नाम शामिल हो गए हैं।