कोरोना वायरस महामारी और उसके आर्थिक प्रभावों को ‘एक्ट ऑफ गॉड’ यानी ‘दैवीय आपदा’ की संज्ञा देते हुए वित्तीय मंत्रालय ने स्वीकार किया कि राज्यों को इस वर्ष 2.35 लाख करोड़ रुपए के GST मुआवज़े की कमी का सामना करना पड़ सकता है।41वीं बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों को अनुमानित मुआवज़े की कमी के विवादास्पद मुद्दे को हल करने के लिये दो विकल्प प्रस्तुत किये।
पहला विकल्प
- वित्त मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत किये गए पहले विकल्प के अंतर्गत केंद्र सरकार, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के परामर्श से राज्यों को उचित ब्याज़ दर पर अनुमानित जीएसटी कमी, जो कि लगभग 97,000 करोड़ रुपए है, को ऋण के रूप में लेने के लिये एक विशेष विंडो प्रदान करेगी।
- राज्य सरकारों द्वारा यह धनराशि उपकर संग्रह के माध्यम से जीएसटी कार्यान्वयन के 5 वर्ष बाद (यानी वर्ष 2022 के बाद) चुकाई जा सकती है।
दूसरा विकल्प
- वित्त मंत्रालय द्वारा राज्यों को प्रस्तुत किये गए दूसरे विकल्प के अंतर्गत राज्य सरकारें मौजूदा वित्तीय वर्ष में जीएसटी राजस्व में आई संपूर्ण कमी को उधार के रूप में ले सकती हैं, जिसमें केंद्र सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) राज्यों की मदद करेंगे। इस वर्ष के जीएसटी राजस्व में कुल 2.35 लाख रुपए की कमी अनुमानित है।
- यहाँ यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि वित्त मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत पहले विकल्प (97,000 करोड़ रुपए की राशि) में केवल जीएसटी कार्यान्वयन के कारण आई राजस्व की कमी को शामिल किया गया है, जबकि मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत दूसरे विकल्प में जीएसटी कार्यान्वयन के साथ-साथ मौजूदा कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के प्रभाव को भी शामिल किया गया है।
नियम के अनुसार, वर्ष 2022 यानी GST कार्यान्वयन शुरू होने के बाद पहले पाँच वर्षों तक GST कर संग्रह में 14% से कम वृद्धि (आधार वर्ष 2015-16) दर्शाने वाले राज्यों के लिये क्षतिपूर्ति की गारंटी दी गई है। केंद्र द्वारा राज्यों को प्रत्येक दो महीने में क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाता है।हालाँकि, क्षतिपूर्ति भुगतान में होने होने वाली देरी राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के बीच एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा रहा है, जिसकी शुरुआत बीते वर्ष अक्तूबर में हुई थी, जब राज्यों के जीएसटी राजस्व में कमी होना शुरू हो गया था।अप्रैल-जून तिमाही में जीएसटी राजस्व में 41 प्रतिशत की गिरावट के साथ कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी ने जीएसटी राजस्व के इस अंतराल को और अधिक बढ़ा दिया है।