भारत में, प्रत्येक वर्ष 21 अप्रैल को ‘सिविल सेवा दिवस’ मनाया जाता है। यह केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों में, लोक प्रशासन में लगे अधिकारियों द्वारा किए गए अच्छे काम की सराहना करने का दिन है।
भारत सरकार ने 21 अप्रैल को राष्ट्रीय लोक सेवा दिवस के रूप में चुना था क्योंकि इस दिन देश के पहले गृह मंत्री, सरदार वल्लभभाई पटेल ने 1947 में नव नियुक्त प्रशासनिक सेवा अधिकारियों को संबोधित किया था. यह ऐतिहासिक कार्यक्रम दिल्ली के मेटकाफ हाउस में हुआ. अपने संबोधन में, उन्होंने लोक सेवकों को ‘स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया (Steel Frame of India)’ कहा.
बता दें कि सिविल सर्विस कर रहे लोग देश की सरकार के सार्वजनिक क्रियान्वयन और प्रशासनिक व्यवस्थाओं के लिए जवाबदेह हैं. विधायी, न्यायपालिका और सैन्य कर्मी सभी सिविल सर्वेंट हैं. सिविल सेवा के सदस्य किसी भी राजनीतिक सत्तारूढ़ पार्टी के लिए कोई प्रतिज्ञा नहीं लेते हैं, लेकिन सत्तारूढ़ राजनीतिक दल की नीतियों के निष्पादक जरूर होते हैं.
सिविल सेवा (Civil Service) शब्द ब्रिटिश काल में आया था जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के नागरिक कर्मचारी प्रशासनिक नौकरियों में शामिल थे. ब्रिटिश सरकार उन्हें ‘लोक सेवक’ यानी सिविल सर्वेंट कहकर बुलाती है. इसकी शुरुआत वॉरेन हेस्टिंग्स ने की बाद में चार्ल्स कॉर्नवॉलिस (Charles Cornwallis) ने इसमें सुधार किए. इसीलिए उन्हें “भारत में नागरिक सेवाओं के पिता” (“Father of Civil Services in India”) के रूप में जाना जाता था.
भारत में सिविल सेवा में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS), भारतीय विदेश सेवा (IFS) और अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सेवा समूह A और समूह B की व्यापक सूची शामिल है. 21 अप्रैल सिविल सेवा को समर्पित है. लोग अपनी अनुकरणीय सेवाओं की स्मृति में और जो उन्होंने वर्षों पहले किया है उसे वापस प्रतिबिंबित करने के लिए इस दिन को मनाते हैं. इसके अलावा, इस दिन वे आने वाले वर्ष के लिए योजना बनाते हैं कि उन्हें अपने संबंधित विभागों के लिए कैसे काम करना है.