भारतीय रेलवे द्वारा पूरे रेल नेटवर्क को वर्ष 2024 तक पूरी तरह से विद्युत से संचालित करने तथा वर्ष 2030 तक नेट-शून्य उत्सर्जन नेटवर्क बनाने का लक्ष्य रखा गया है।इसके लिये देश ब्राज़ील जैसे देशों से सहयोग स्थापित करेगा ताकि स्वच्छ ऊर्जा, स्टार्टअप, मूल्य श्रृंखला आदि में निवेश बढ़ाने में मदद मिल सके।
प्रभाव –
- भारतीय रेलवे द्वारा प्रारंभ ‘नेट शून्य’ उत्सर्जन पहल भारत की जलवायु परिवर्तन की चुनौती के खिलाफ सहयोग करेगा ।भारतीय रेलवे को पूरी तरह से हरित परिवहन बनाने के लिये सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाएगा।
- इससे भारत के ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ (INDCs) लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद मिलेगी।
- रेलवे लाइनों के साथ सौर परियोजनाओं की स्थापना रेलवे लाइनों के अतिक्रमण को रोकने, गाड़ियों की गति और सुरक्षा को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- अत्मानिर्भार भारत अभियान’ इस पहल में मुख्य प्रेरक की भूमिका निभाएगा।
रेलवे द्वारा उठाए गए अन्य कदम –
1.भारतीय रेलवे हरित ऊर्जा खरीद के मामले में अग्रणी रहा है। इसने रायबरेली में स्थापित 3 मेगावाट के सौर संयंत्र से ऊर्जा खरीद शुरू कर दी है।
2.भारतीय रेलवे के विभिन्न स्टेशनों और भवनों पर लगभग 100 मेगावाट वाले सौर पैनल स्थापित करने का कार्य प्रगति पर है।
3.भारतीय रेलवे की विद्युत ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये भूमि आधारित सौर संयंत्रों के निर्माण पर भी कार्य कर रहा है। ऐसी दो पायलट परियोजनाएँ भिलाई (छत्तीसगढ़) तथा दीवाना (हरियाणा) में कार्यान्वित की जा रही हैं। जिनके 31 अगस्त, 2020 तक शुरू होने की उम्मीद है।