विशेष राज्य का दर्जा एक ऐसा संवैधानिक प्रावधान है जिसके तहत किसी राज्य को केंद्र सरकार से आर्थिक सहायता, कर में छूट, और अन्य विशेष सुविधाएं मिलती हैं। यह दर्जा राज्यों को उनकी भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक विशेषताओं के आधार पर दिया जाता है, जिससे वे अपने विकास और प्रगति में तेजी ला सकें।
विशेष राज्य के दर्जे के तहत मिलने वाले लाभों में शामिल हैं:
- केंद्र सरकार से अधिक अनुदान: विशेष राज्य को योजना आयोग (अब नीति आयोग) से अधिक अनुदान मिलता है।
- केंद्र-राज्य कर अनुपात: कर राजस्व का बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार से राज्य सरकार को दिया जाता है।
- छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन: विशेष राज्य के क्षेत्रों में स्थापित उद्योगों को कर में छूट और अन्य लाभ मिलते हैं।
- बुनियादी ढांचे के विकास के लिए वित्तीय सहायता: सड़कों, पुलों, अस्पतालों, और स्कूलों के निर्माण के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता मिलती है।
बिहार ने लंबे समय से विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है, ताकि वह अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सके और तेजी से विकास कर सके। हालांकि, केंद्र सरकार ने यह दर्जा देने से इनकार कर दिया है। इसके पीछे विभिन्न कारण हो सकते हैं, जैसे:
- आर्थिक मापदंड: केंद्र सरकार का मानना है कि बिहार विशेष राज्य के मापदंडों को पूरा नहीं करता।
- राजनीतिक कारण: राजनीतिक संतुलन और अन्य राज्यों के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाता है।
- प्रतिकूल प्रभाव: विशेष राज्य का दर्जा देने से अन्य राज्यों में असंतोष फैल सकता है और वे भी इसी तरह की मांग कर सकते हैं।
इस इनकार के बावजूद, बिहार सरकार अपने विकास के लिए विभिन्न योजनाएं और नीतियां लागू करने का प्रयास कर रही है।