20 अप्रैल, 2021 को जारी नवीनतम विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2021 में भारत 180 देशों में 142 वें स्थान पर है। भारत को 2020 में भी 142 वां स्थान मिला था। नॉर्वे ने पांचवें वर्ष के लिए अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा, इसके बाद फिनलैंड दूसरे और तीसरे स्थान पर डेनमार्क रहा। क्रमशः इरीट्रिया 180 वें स्थान पर है, जो सूचकांक पर सबसे निचली स्थिति है। सूची में चीन का 177वां स्थान है. तुर्कमेनिस्तान 178वें और उत्तर कोरिया 179वें स्थान पर है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्राजील, मेक्सिको और रूस के साथ भारत पत्रकारिता के लिए सबसे खराब देश है.
रिपोर्ट में भारत में कम होती प्रेस की स्वतंत्रता के लिए भाजपा समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया गया है. इसमें कहा गया है कि भाजपा समर्थकों ने पत्रकारों को डराने-धमकाने का माहौल बनाया है. उन्होंने पत्रकारों की खबरों को ‘राज्य विरोधी’ और ‘राष्ट्र विरोधी’ करार दिया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया पर अपनी पकड़ और मजबूत कर ली है. 2020 में अपने काम को लेकर चार पत्रकारों की हत्या की गई है, ऐसे में भारत अपना काम ठीक से करने वाले पत्रकारों के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक है.
2021 की रिपोर्ट से पता चलता है कि इन 180 देशों के 73 फीसदी भागों में पत्रकारिता पूरी तरह से या आंशिक रूप से अवरुद्ध है. सिर्फ इन 180 देशों में से 12 फीसदी में ही पत्रकारिता के अनुकूल माहौल है.
यह सूचकांक 180 देशों और क्षेत्रों में प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए इंटरनेशनल रिपोर्टिंग नॉट-फॉर-प्रॉफिट बॉडी, “रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF)” द्वारा हर साल प्रकाशित किया जाता है।
सूचकांक
रैंक 1 – नॉर्वे
रैंक 2 – फ़िनलैंड
रैंक 3 – डेनमार्क
रैंक 177 – चीन
रैंक 179 – उत्तरी कोरिया
रैंक 180 – इरीट्रिया