ख़बरों में क्यों :
बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) ने सुगंधित धान की एक ऐसी किस्म विकसित की है जो अब तक के सभी सुगंधित किस्मों से उत्पादन बहुत ज्यादा है। सबौर सोना-बीआरआर 2177 अनुसंधान क्षेत्रों में अंतिम परीक्षण के दौर में है। आने वाले समय में बहुत जल्द रिलीज किया जाएगा और किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।
प्रमुख बिंदु :
- वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय, डुमराव के विज्ञानी डा. प्रकाश सिंह एवं उनकी टीम द्वारा सात वर्ष से अथक प्रयास से एक अत्यधिक सुगंधित एवं अधिक उपज देने वाली प्रजाति सबौर सोना धान का विकसित किया है।
- यह नई किस्म 52 से 55 क्विंल प्रति हेक्टेयर उपज देने वाली है जो अन्य सुगंधित किस्मों से लगभग दो गुना होगा।
- इसका पौधा छोटा लगभग 105 सेंटीमीटर लंबा, मध्यम अवधि 130 से 135 दिनों में पक जाने वाला प्रभेद है।
- सोना धान प्रभेद में सुगंध का कारण बीएडीएचटू जीन का होना है। प्रजाति का विकास सटल प्रजनन एवं वंशावली प्रजनन विधि द्वारा किया गया है। इस प्रभेद का विकास दो विभिन्न जनक तरावड़ी बासमती छोटा म्युटेंट-2 एवं नाटी मंसूरी/एमटीयू 7029 से संकरण द्वारा किया गया है।
- सोना धान में एमाइलाज कंटेंट भी 22 से 23 प्रतिशत के बीच में उपलब्ध है, जिससे इस धान का चावल चिपकता नहीं है एवं भरभरा रहता है।