बिहार के हरिहर क्षेत्र में आयोजित होने वाले एशिया के सबसे बड़े पशु मेले विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला का शुभारंभ 25 नवंबर को होगा तथा यह 32 दिनों तक चलेगा। इस मेले को ‘हरिहर क्षेत्र मेला’के नाम से भी जाना जाता है
यह सारण और वैशाली ज़िले की सीमा पर अवस्थित सोनपुर में दो नदियों, गंगा और गंडक के संगम पर आयोजित किया जाता है।
हर साल कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के साथ शुरू होने वाले इस मेले को स्थानीय लोग इसे ‘छत्तर मेला’कहते हैं।
हिंदू भक्त गंगा और गंडक नदी में पवित्र डुबकी लगाने के लिए क्षेत्र में आते हैं और हरिहर नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं।
यह मेला भले ही पशु मेला के नाम से विख्यात है, लेकिन इस मेले की खासियत यह है कि यहां सूई से लेकर हाथी तक की खरीदारी की जा सकती है।
इस मेले का ऐतिहासिक महत्त्व भी है। मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य, मुगल सम्राट अकबर और 1857 के गदर के नायक वीर कुंवर सिंह ने भी सोनपुर मेले से हाथियों की खरीद की थी।
सन 1803 में रॉबर्ट क्लाइव ने सोनपुर में घोड़े का बड़ा अस्तबल भी बनवाया था। इसके अलावा सिख धर्म के गुरु नानक देव के यहाँ आने का जिक्र धर्मों में मिलता है और भगवान बुद्ध भी यहां अपनी कुशीनगर की यात्रा के दौरान आये थे।
सोनपुर हरिहर नाथ मंदिर दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां हरि (विष्णु) और हर (शिव) की एकीकृत मूर्ति है।
इसके मंदिर के बारे में कहा जाता है कि कभी ब्रह्मा ने इसकी स्थापना की थी। इसके साथ ही संगम किनारे स्थित दक्षिणेश्वर काली की मूर्ति में शुंग काल का स्तंभ है।