‘सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी’ ने देखा सौर-कलंक (सनस्पॉट) समूह

हाल ही में नेशनल एयरोनॉटिकल एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के ‘सोलर डायनेमिक्स Image result for (Sunspot) group - AR2770.‘ ने व्यापक सौर-कलंक (सनस्पॉट) समूह – AR2770 को देखा है।ऐसा माना जाता है कि सौर कलंक का 25 वां चक्र सूर्य के आंतरिक भाग में चल रहा है। 

सौर-कलंक:
सौर कलंक सूर्य की सतह का वह क्षेत्र है जो आसपास के क्षेत्रों की तुलना में  काला (DARK) है और इसमें तापमान कम होता है। व्यास लगभग 50,000 किमी. होता है।
ये सूर्य की बाहरी सतह अर्थात प्रकाशमंडल, के क्षेत्र हैं जहां किसी के तारे का चुंबकीय क्षेत्र सबसे अधिक है। यहाँ का चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी से लगभग 2,500 गुना अधिक है।

सौर चक्र-  अधिकांश सौर कलंक समूहों में दिखाई देते हैं और उनका अपना चुंबकीय क्षेत्र होता है, जिसकी ध्रुवीयता लगभग 11 वर्षों में बदल जाती है जिसे सौर चक्र कहा जाता है . माना जाता है कि वर्तमान सौर चक्र की शुरुआत वर्ष 2008 से हुई थी जो कि अपने ‘सौर न्यूनतम’ (सौर न्यूनतम) चरण में है।सौर न्यूनतम’ के दौरान सौर flaresकी संख्या में कमी देखी गई है।

सौर कलंक के प्रभाव:

  • सौर-कलंक से उत्पन्न सोलर फ्लेयर्स के कारण रेडियो संचार, जीपीएस सिस्टम, ऊर्जा-स्टूडियो और उपग्रह-आधारित संचार प्रणालि सौर ऊर्जा से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं।
  • सौर कलंक के कारण ‘जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म’ (भू-चुंबकीय तूफान) उत्पन्न हो सकते हैं।जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म ’सौर तूफानों के कारण पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर में बना एक विकार है, जो इन खतरनाक विकिरणों से पृथ्वी की सुरक्षा को प्रभावित करता है।
  • वातावरण  न्यूनतम सौर कलंक सक्रियण के दौरान ठंडा होता है, जबकि वायुमंडलीय हीटिंग अधिकतम सौर कलंक सक्रियण अवधि के दौरान होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Join Our Telegram