हाल ही में ‘यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड’ ( UNFPA) ने विश्व स्तर पर महिलाओं की घटती संख्या के संदर्भ में ‘स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन , 2020 रिपोर्ट जारी की।प्राप्त आँकड़ों के अनुसार, महिलाओं की मृत्यु की संख्या पिछले 50 वर्षों में दोगुनी से अधिक हो गई है । जहां वर्ष 1970 में यह संख्या 61 मिलियन थी , वर्ष 2020 में बढ़कर 142 मिलियन पर पहुँच गई है।
हर वर्ष वैश्विक स्तर पर जन्म के समय 1.2 मिलियन महिलाओं की मृत्यु हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में लिंग परीक्षण के कारण कुल मृत लड़कियों की संख्या लगभग दो-तिहाई है तथा जन्म के बाद की महिला मृत्यु दर लगभग एक-तिहाई है।जन्म से पूर्व लिंग चयन के कारण विश्व में हर वर्ष लगभग 12-15 लाख लड़कियों की मृत्यु हो जाती है जिनमें से 90%- 95% भारत और चीन में होती हैं।
भारत की स्थिति –
- भारत में वर्ष 2020 तक मृत महिलाओं की संख्या 45.8 मिलियन हो गई है वही चीन में यह आँकड़ा 72.3 मिलियन है।
- भारत में हर वर्ष जन्म के समय लगभग 4,60,000 लड़कियों की मृत्यु हुई है
- भारत में प्रति 1,000 महिला पर 13.5 प्रति महिला की मृत्यु प्रसवपूर्व लिंग चयन के कारण हुई है।
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 5 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों में मृत्यु दर का अनुपात 9 लड़कियों पर 1 है जो सर्वाधिक है।
रिपोर्ट के अनुसार, लोगों में पुत्र प्राप्ति की तीव्र इच्छा तथा लिंग चयन के कारण इस तरह के परिणाम देखने को मिल रहे है। हर वर्ष विश्व में लाखों लड़कियों को अपने समुदायों की उन प्रथाओं के अधीन किया जाता है जो उन्हें शारीरिक एवं भावनात्मक रूप से नुकसान पहुँचाती हैं।