हिंद महासागर में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी (NIO) जीनोम मैपिंग की अपनी तरह की पहली परियोजना शुरू करेगी। हिंद महासागर में पृथ्वी की पानी की सतह का लगभग 20% हिस्सा है और इसलिए यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा जल क्षेत्र है। इसका उद्देश्य हिंद महासागर में सूक्ष्मजीवों के जीनोम मैपिंग के नमूनों को इकट्ठा करना है। जलवायु परिवर्तन, पोषक तनाव और बढ़ते प्रदूषण के लिए जैव रसायन और महासागर की प्रतिक्रिया को समझना भी आवश्यक है। परियोजना की लागत और अवधि 25 करोड़ रुपये है और इसे पूरा करने में लगभग तीन साल लगेंगे