5जी प्रौद्योगिकी (5G Technology) के परीक्षण को मिली अनुमति

भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को 5जी प्रौद्योगिकी (5G Technology) के उपयोग और उससे संबंधित परीक्षण की अनुमति दे दी है।प्रारंभ में परीक्षणों की अवधि 6 महीने के लिये है। इसमें उपकरणों की खरीद और स्थापना के लिये 2 महीने की अवधि भी शामिल है।

यह औपचारिक रूप से भारत में 5G प्रौद्योगिकी (5G Technology) को लेकर चल रही प्रतिस्पर्द्धा से ‘Huawei’ और ‘ZTE’ जैसी चीन की कंपनियों को बाहर कर देगा।

दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ( TSPs ) को शहरी क्षेत्रों, अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में अपने सेट का परीक्षण करना होगा।
TSPs को विभिन्न बैंडों में प्रायोगिक स्पेक्ट्रम प्रदान किये जाएंगे, जिसमें मिड-बैंड (3.2 गीगाहर्ट्ज़ से 3.67 गीगाहर्ट्ज़), मिलीमीटर वेव बैंड (24.25 गीगाहर्ट्ज़ से 28.5 गीगाहर्ट्ज़) और सब-गीगाहर्ट्ज़ बैंड (700 गीगाहर्ट्ज़) शामिल हैं।
इस दौरान टेली-मेडिसिन, टेली-शिक्षा, ऑगमेंटेड/वर्चुअल रियल्टी (Augmented/Virtual Reality), ड्रोन-आधारित कृषि निगरानी जैसे अनुप्रयोगों का परीक्षण किया जाएगा। परीक्षणों के दौरान प्राप्त आँकड़ों को भारत में ही संग्रहीत किया जाएगा।

स्वदेशी प्रौद्योगिकी का उपयोग: TSPs को पहले से मौजूद 5जी प्रौद्योगिकी के अलावा 5जीआई प्रौद्योगिकी (5Gi Technology) का उपयोग कर परीक्षण करने के लिये प्रोत्साहित किया गया है।
5G प्रौद्योगिकी (5G Technology) की वकालत भारत द्वारा की गई थी और इसे अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (International Telecommunications Union- ITU)- सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों के लिये संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी द्वारा अनुमोदित किया गया है।

5G Technology का विकास आईआईटी मद्रास के वायरलेस टेक्नोलॉजी उत्कृष्ट केंद्र (IIT Madras, Centre of Excellence in Wireless Technology- CEWiT) और आईआईटी हैदराबाद (IIT Hyderabad) द्वारा किया गया है।
यह 5G टावरों और रेडियो नेटवर्क की व्यापक पहुँच को सुविधाजनक बनाता है।
5जी परीक्षण की आवश्यकता:

वर्तमान में भारत में दूरसंचार बाज़ार केवल तीन निजी टेली कम्युनिकेशन कंपनियों (Telcos) तक ही सीमित रह गया है और शेष कंपनियाँ निवेश के मुकाबले कम आय के कारण लगभग लगभग बंद हो चुकी हैं अथवा बंद होने की कगार पर हैं। दूरसंचार क्षेत्र में वर्तमान में दो राज्य संचालित कंपनियाँ, महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) और भारत संचार निगम लिमिटेड (Bharat Sanchar Nigam Limited- BSNL) बची हुई हैं, परंतु ये भी आर्थिक क्षति का सामना कर रही हैं।
ऐसे में अपने औसत राजस्व को बढ़ाने के लिये टेली कम्युनिकेशन कंपनियों के लिये जल्द-से-जल्द नई 5जी प्रौद्योगिकी पेशकश करना आवश्यक हो गया है।

5जी प्रौद्योगिकी (5G Technology) की विशेषताएँ:

5जी में बैंड्स- 5G मुख्य रूप से 3 बैंड (लो, मिड और हाई बैंड स्पेक्ट्रम) में कार्य करता है, जिसमें सभी के बैंड्स के कुछ विशिष्ट उपयोग और कुछ विशिष्ट सीमाएँ हैं।
लो बैंड स्पेक्ट्रम (Low Band Spectrum): इसमें इंटरनेट की गति और डेटा के इंटरैक्शन-प्रदान की अधिकतम गति 100Mbps (प्रति सेकंड मेगाबिट्स) तक होती है।
मिड बैंड स्पेक्ट्रम (Mid-Band Spectrum): इसमें लो बैंड के स्पेक्ट्रम की तुलना में इंटरनेट की गति अधिक होती है, फिर भी इसके कवरेज क्षेत्र और सिग्नलों की कुछ सीमाएँ हैं।
हाई बैंड स्पेक्ट्रम (High-Band Spectrum): इसमें उपरोक्त अन्य दो बैंड्स की तुलना में उच्च गति होती है, लेकिन कवरेज और सिग्नल भेदन की क्षमता बेहद सीमित होती है।

उन्नत LTE: 5जी ‘लॉन्ग-टर्म एवोलूशन’ (LTE) मोबाइल ब्रॉडबैंड नेटवर्क में सबसे नवीनतम अपग्रेड है।
इंटरनेट स्पीड और दक्षता: 5जी के हाई-बैंड स्पेक्ट्रम में इंटरनेट की स्पीड को 20 Gbps (प्रति सेकंड गीगाबिट्स) तक दर्ज किया गया है, जबकि 4G में इंटरनेट की अधिकतम स्पीड 1 Gbps होती है।
5G तीन गुना अधिक स्पेक्ट्रम दक्षता और अल्ट्रा लो लेटेंसी प्रदान करेगा।
लेटेंसी, नेटवर्किंग से संबंधित एक शब्द है। एक नोड से दूसरे नोड तक जाने में किसी डेटा पैकेट द्वारा लिये गए कुल समय को लेटेंसी कहते हैं। लेटेंसी समय अंतराल या देरी को संदर्भित करता है।

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