
घटना का संक्षिप्त विवरण
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई। इस हमले के बाद भारत सरकार ने कड़ा कदम उठाते हुए पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिक साद अहमद वराइच को दिल्ली तलब किया और पाकिस्तान के सैन्य राजनयिकों को औपचारिक रूप से ‘पर्सोना नॉन ग्रेटा’ का दर्जा दिया।
पर्सोना नॉन ग्रेटा क्या है?
‘पर्सोना नॉन ग्रेटा’ एक लैटिन मुहावरा है, जिसका अर्थ है ‘अवांछित व्यक्ति’। यह शब्द आमतौर पर किसी ऐसे व्यक्ति को संदर्भित करता है, जिसका किसी विशेष समूह, देश या परिवेश में अब स्वागत नहीं किया जाता। अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में, यदि कोई देश किसी व्यक्ति को पर्सोना नॉन ग्रेटा घोषित करता है, तो इसका मतलब है कि उस व्यक्ति को देश से निष्कासित किया जा रहा है। यह एक गंभीर निंदा मानी जाती है, जो एक देश दूसरे देश के राजनयिकों पर लगा सकता है।
पर्सोना नॉन ग्रेटा नोट क्या है?
पर्सोना नॉन ग्रेटा नोट एक आधिकारिक राजनयिक संचार है, जो किसी देश के विदेश मंत्रालय द्वारा किसी विदेशी दूतावास को भेजा जाता है। इसमें यह घोषणा की जाती है कि किसी विशिष्ट राजनयिक या विदेशी अधिकारी का अब मेजबान देश में स्वागत नहीं है। वियना कन्वेंशन के अनुसार, व्यक्ति को नोट प्राप्त करने के 48 से 72 घंटों के भीतर देश छोड़ देना चाहिए। वर्तमान मामले में, भारत ने पाकिस्तानी राजनयिकों को देश छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है।
किसे पर्सोना नॉन ग्रेटा घोषित किया गया?
भारत ने नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को पर्सोना नॉन ग्रेटा घोषित किया है। इसके साथ ही, भारत इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग से अपने रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को भी वापस बुलाएगा। संबंधित उच्चायोगों में ये पद रद्द माने जाते हैं।
उच्चायोगों की संख्या में कमी
1 मई से प्रभावी होने वाली कटौती के बाद, उच्चायोगों की कुल संख्या मौजूदा 55 से घटकर 30 रह जाएगी। यह कदम दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव और कूटनीतिक संबंधों में कमी को दर्शाता है।
निष्कर्ष
भारत द्वारा उठाए गए इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि वह आतंकवाद के खिलाफ अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह घटना न केवल भारत-पाकिस्तान के संबंधों पर प्रभाव डालेगी, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।