केंद्रीय संस्कृति मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने 18 अप्रैल 2020 को नई दिल्ली में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (National List of Intangible Cultural Heritage: ICH) की राष्ट्रीय सूची जारी की।
भारत में विलक्षण अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) परम्पराओं का खजाना विद्यमान है, जिनमें से 13 को यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता प्रदान की गई है। राष्ट्रीय आईसीएच सूची अपनी अमूर्त विरासत में अंत:स्थापित भारतीय संस्कृति की विविधता को मान्यता देने का एक प्रयास है। इसका लक्ष्य भारत के विविध राज्यों की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत परम्पराओं के बारे में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता फैलाना और उनका संरक्षण सुनिश्चित करना है। यह पहल संस्कृति मंत्रालय के विज़न 2024 का भी एक भाग है।
पांच क्षेत्रों में वर्गीकृत
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करने संबंधी यूनेस्को के 2003 अभिसमय का अनुसरण करते हुए इस सूची को मोटे तौर पर पांच क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है, जिनमें अमूर्त सांस्कृतिक विरासत अभिव्यक्त होती है:
1. अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के वाहक के तौर पर भाषा सहित मौखिक परंपराएं और अभिव्यक्तियां;
2. प्रदर्शन कलाएं;
3. सामाजिक प्रथाएं, रीति-रिवाज और उत्सव घटनाक्रम;
4. प्रकृति और विश्व से संबंधित ज्ञान तथा प्रथाएं;
5. पारंपरिक शिल्पकारिता इस सूची में वर्तमान परम्पराओं को संस्कृति मंत्रालय द्वारा 2013 में निरूपित ”भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत और विविध सांस्कृंतिक परंपराओं का संरक्षण” योजना के अंतर्गत स्वीकृत परियोजनाओं में से एकत्र किया गया है।
अब तक इस सूची में 100 से ज्यादा परम्पराओं को शामिल किया जा चुका है। इस सूची में वे 13 परम्पराएं भी शामिल हैं, जो यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में पहले ही अंकित हो चुकी हैं।
भारत में यूनेस्को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत
2017: कुंभ मेला
2016: नवरोज
2016: योग
2014: जंडियाला गुरु, पंजाब-पीतल और तांबे के बर्तन बनाने के पारंपरिक शिल्प
2013: संकीर्तन-मणिपुर का गायन और नृत्य
2012: लद्दाख का बौद्ध मंत्रोच्चारण
2010: छऊ नृत्य
2010: राजस्थान के कालबेलिया लोक गीत और नृत्य
2010: मुडियेट्टु-केरल का थियेटर और नृत्य नाटक
2009: रम्मन: गढ़वाल हिमालय, भारत के धार्मिक पर्व और आनुष्ठानिक रंगमंच,
2008: कुटियाट्टम, संस्कृत थिएटर
2008: वैदिक मंत्रोच्चारण की परंपरा
2008: रामलीला-रामायण का पारंपरिक प्रदर्शन