सरकार ने 15,000 करोड़ रुपये मूल्य के पशुपालन अवस्थापना विकास कोष (AHIDF) को लागू करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।इस फंड के तहत पात्र लाभार्थियों में किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), MSMEs, कंपनी अधिनियम की धारा 8 के तहत आने वाली कंपनियां, निजी क्षेत्र की कंपनियां और व्यक्तिगत उद्यमी शामिल होंगे।
उद्देश्य
1.पशुपालन अवस्थापना विकास कोष का मुख्य उद्देश्य दूध और मांस प्रसंस्करण क्षमता और उत्पाद विविधीकरण को बढ़ावा देना है ताकि भारत के ग्रामीण और असंगठित दूध और मांस उत्पादकों को संगठित दूध और मांस बाजार तक अधिक पहुंच मिल सके।
2.उत्पादकों को अपने उत्पाद के लिए सही कीमत प्राप्त करने में मदद करना।
3.देश की बढ़ती आबादी के लिए प्रोटीन की समृद्ध खाद्य जरूरतों को पूरा किया जा सके और बच्चों में कुपोषण की बढ़ती समस्या को रोका जा सके।
4.जिससे देश भर में उद्यमिता को प्रोत्साहित किया जा सके और संबंधित क्षेत्र में रोजगार का सृजन हो सके।
5.दूध और मांस उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित करना।
कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश
AHIDF के तहत सभी पात्र परियोजनाओं को ऋण के रूप में अनुसूचित बैंकों से अनुमानित परियोजना लागत का अधिकतम 90 प्रतिशत प्राप्त किया जा सकेगा।15000 करोड़ रुपये की पूरी राशि बैंकों द्वारा 3 वर्षों की अवधि में वितरित की जाएगी।
इसके तहत मूल ऋण राशि के लिए 2 साल की स्थगन अवधि और 6 साल के लिए पुनर्भुगतान अवधि प्रदान की जाएगी, इस प्रकार कुल पुनर्भुगतान अवधि 8 वर्ष होगी। अनुसूचित बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि ऋण वितरण के बाद पुनर्भुगतान अवधि स्थगन अवधि सहित 10 वर्ष से अधिक न हो।
इसके अलावा भारत सरकार द्वारा नाबार्ड के माध्यम से प्रबंधित 750 करोड़ रुपये का ऋण गारंटी कोष भी स्थापित किया जाएगा। इसके तहत एमएसएमई की निर्धारित सीमाओं में आने वाली स्वीकृत परियोजनाओं को ऋण गारंटी प्रदान की जाएगी।