दि इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया-आईबीबीआई ने इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (कॉरपोरेट्स के लिये दिवालियापन समाधान प्रक्रिया) नियम , 2016 और इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया)नियम , 2017 मे संशोधन पारित कर दिया है।
भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (कॉर्पोरेट्स के लिए इनसॉल्वेंसी रिज़ॉल्यूशन प्रक्रिया) नियम, 2016 में संशोधन-
1.अंतरिम समाधान पेशेवर द्वारा प्रस्तुत तीन इंसॉल्वेंसी प्रोफेशनल (आईपी) उसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से होना चाहिए जहां से रिकॉर्ड के अनुसार कॉर्पोरेट देनदार के सबसे अधिक लेनदार हैं।
2.मूल्यांकन मैट्रिक्स के अनुसार सभी संकल्प योजनाओं का मूल्यांकन करने के बाद, सभी संकल्प योजनाओं पर लेनदारों की समिति (CoC) एक साथ वोट देंगे। इसके तहत सबसे ज्यादा वोट पाने वाली समाधान योजना को मंजूरी दी जाएगी, हालांकि ये वोट कुल वोट के 66 प्रतिशत से कम नहीं होने चाहिए।
इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया) नियम, 2017 में संशोधन- एक कॉर्पोरेट व्यक्ति एक सामान्य रिज़ॉल्यूशन के माध्यम से अपने वर्तमान परिसमापक( liquidator ) के स्थान पर एक अन्य इंसॉल्वेंसी पेशेवर को एक परिसमापक के रूप में नियुक्त कर सकता है।
दि इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016
- यदि कोई कंपनी ऋण नहीं चुकाती है, तो कंपनी को दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 (IBC) के तहत ऋण की वसूली के लिए दिवालिया घोषित किया जा सकता है।
- इस संहिता की धारा 7 किसी कंपनी के खिलाफ इन्सॉल्वेंसी कार्यवाही शुरू करने से संबंधित है, जब कोई व्यक्ति, संस्था या कंपनी जो ऋण देती है, उस कंपनी के खिलाफ दिवालिया अदालत में अपील दायर करती है जिसने ऋण नहीं चुकाया था।
- संहिता की धारा 12 इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया को पूरा करने की समय सीमा निर्धारित करती है। इस धारा के तहत पूरी प्रक्रिया को 180 दिनों के भीतर पूरा करना अनिवार्य है।
दि इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ़ इंडिया (IBBI) की स्थापना 1 अक्टूबर 2016 को इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 के तहत की गई थी।वर्तमान में डॉ. एम.एस. साहू इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ़ इंडिया (IBBI) के अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है।