‘संसदीय स्थायी समिति ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी’ की ड्राफ्ट रिपोर्ट के अनुसार, ‘डीएनए टेक्नोलॉजी (यूज़ एंड एप्लीकेशन) रेगुलेशन बिल’, 2019 का दुरुपयोग जाति या समुदाय आधारित प्रोफाइलिंग के लिए किया जा सकता है।मसौदा रिपोर्ट को संसदीय स्थायी समिति की बैठक में अंतिम रूप दिया जाना था, लेकिन कोरम पूरा नहीं होने के कारण इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका।पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने डीएनए बिल को अपरिपक्व करार दिया और दुरुपयोग का खतरा बताया।
संसदीय समिति द्वारा उठाए गए चिंता के विषय:
1.डीएनए प्रोफाइल, किसी व्यक्ति की अत्यंत संवेदनशील जानकारी जैसे कि वंशावली, त्वचा का रंग, व्यवहार, बीमारी, स्वास्थ्य की स्थिति और बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता को प्रकट कर सकती है।इस प्रकार, अनाधिकृत रूप से प्राप्त जानकारी का दुरुपयोग व्यक्तियों और उनके परिवारों से संबंधित जानकारी को प्राप्त करने में किया जा सकता है।
इस प्रकार से प्राप्त जानकारी का उपयोग किसी विशेष जाति / समुदाय को आपराधिक गतिविधियों से जोड़ने के लिए भी किया जा सकता है।
2.विधेयक में भविष्य में प्रवर्तन के लिए शपथ पत्र, विचाराधीन कैदियों, पीड़ितों और उनके रिश्तेदारों के डीएनए प्रोफाइल को क्षैतिज करने का प्रस्ताव है।
संसदीय स्थायी समिति का मानना है कि केवल दोषियों के डीएनए डेटाबेस को अस्थायी किया जाना चाहिए अन्य श्रेणियों में नहीं
3।विधेयक में कई मामलों में डीएनए नमूने लेने से पूर्व व्यक्ति की सहमति को आवश्यक माना गया है लेकिन मजिस्ट्रेट कब-कब, व्यक्ति की सहमति को अधिभंगी (ओवरराइड) कर सकता है, इस संबंध में विधेयक में कोई आधार और कारणों के संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं दिए गए हैं।
4।संसदीय स्थायी समिति ने सिफारिश की है कि जैविक नमूनों को नष्ट करने और डेटाबेस से डीएनए प्रोफाइल को हटाने के प्रस्तावों की स्वतंत्र जाँच की जानी चाहिए।
5.विधेयक यह भी प्रावधान करता है कि नागरिक मामलों से सबंधित डीएनए प्रोफाइल को भी डेटा बैंकों में ही संग्रहीत किया जाएगा, हालांकि इसके लिए अलग से सूचकांक तैयार नहीं किया जाएगा।
संसदीय स्थायी समिति के अनुसार, इस प्रकार नागरिक मामलों का डीएनए प्रोफाइल संग्रह, निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है