हाल ही में ‘राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक’ (NABARD) द्वारा ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी -सूक्ष्म वित्त संस्थान’ के लिए एक ‘संरचित वित्त और आंशिक वित्त कार्यक्रम’ की शुरुआत की गई है।वर्तमान में COVID-19 महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था में आई गिरावट के बीच इस आंशिक गारंटी युक्त ऋण सुविधा के माध्यम से बड़ी संख्या में परिवारों, किसानों और व्यवसायों को इस चुनौती से निपटने के लिये आवश्यक वित्तीय सुविधा प्राप्त हो सकेगी।
मुख्य बिंदु:
इस कार्यक्रम का उद्देश्य COVID-19 से प्रभावित देश के ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण की निर्बध आपूर्ति को सुनिश्चित करना है।
इस कार्यक्रम के तहत नाबार्ड द्वारा छोटे और मध्यम आकार के ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी-सूक्ष्म वित्त संस्थान’ (एनबीएफसी-एमएफआई) को सामूहिक / ऋण पर आंशिक लाभ प्रदान करते हैं। इसके तहत नाबार्ड द्वारा प्राथमिक चरण के तहत 2500 करोड़ रुपये के वित्त पोषण की सुविधा प्रदान की जाएगी और इसे आगे चलकर और भी बढ़ाया जा सकता है।
इस कार्यक्रम के तहत देश के 28 राज्यों और 650 ज़िलों में 10 लाख से अधिक परिवारों को लाभ प्राप्त होने का अनुमान है।
नाबार्ड द्वारा इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन हेतु विवृत्ति कैपिटल (Vivriti Capital) और उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक (Ujjivan Small Finance Bank) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया है।
सामूहिक ऋण निर्गमन (Pooled Loan Issuance- PLI):
- इस व्यवस्था के तहत कई ऋणग्राहियों के जोखिम को एक साथ जोड़ दिया जाता है और ऋण पर समूह के किसी उच्च मानक प्राप्त गारंटर के माध्यम से एक सामान्य आंशिक गारंटी प्रदान की जाती है।
- PLI की इस व्यवस्था में नाबार्ड द्वारा आंशिक ऋण संरक्षण के प्रावधान से ऋण दाता बैंकों के लिये ऋण वितरण की प्रक्रिया बहुत ही सुविधाजनक हो जाएगी।
- इसके तहत नाबार्ड की गारंटी से ऋणों की रेटिंग बढ़ने से पूंजी की लागत कम हो जाएगी, जो ऋणदाताओं को प्राथमिक क्षेत्र के लक्ष्यों को पूरा करने में सहायता करता है।
- इस कार्यक्रम में एक गारंटर के रूप में नाबार्ड की भूमिका से बड़ी संख्या में मुख्यधारा के बैंकों और छोटे वित्त बैंकों को इससे जुड़ने हेतु आकर्षित करने में सहायता प्राप्त हुई है।