मैथिली साहित्य के वरिष्ठ साहित्यकार और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉक्टर रामदेव झा नहीं रहे। आज दरभंगा स्थित एक निजी अस्पताल में उनका निधन हो गया है। वह कई दिनों से बीमार थे।
डॉक्टर रामदेव झा एक तरह से मैथिली साहित्य के विकीपीडिया थे। अपनी विद्वता के कारण उन्हें कई सम्मान मिल चुका था। साहित्य अकादमी ने उनकी मूल कृति पसीझैत पाथर नाट्य संग्रह के लिए वर्ष 1991 में, राजेंद्र सिंह बेदी की उर्दू में लिखी पुस्तक सगाई का मैथिली में अनुवाद के लिए वर्ष 1994 में तथा बाल साहित्य के लिए वर्ष 2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा था। 50 से अधिक पुस्तकों के रचयिता डॉ. रामदेव झा राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित थे।