आर्द्रता
वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प की मात्रा को आर्द्रता कहा जाता है। वायुमंडल में जल वाष्प की मात्रा केवल 2% है (कभी-कभी यह 3% तक पहुंच जाती है)। यह सूर्यातप को बादल के रूप में परिवर्तित करके पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित करता है। वातावरण में मौजूद आर्द्रता और उसमें निहित विभव ऊर्जा के बीच सीधा संबंध है।
जितना अधिक आर्द्रता होगी, उतना ही वातावरण में अस्थिरता और झंझावात उत्पन्न करने के लिए ऊर्जा होगी। हवा में जल वाष्प की मात्रा वर्षा को निर्धारित करती है। जल वाष्प भी पृथ्वी के विकिरण को अवशोषित करता है और पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित करता है।
► आर्द्रता निम्न प्रकार के होते है :–
1. निरक्षेप आर्द्रता :- किसी भी स्थान पर किसी भी तापमान पर हवा में व्याप्त आर्द्रता को निरक्षेप या वास्तविक आर्द्रता कहा जाता है। इसकी गणना ग्राम प्रति घन मीटर या घन फीट में की जाती है। उदाहरण के लिए, यदि 20 डिग्री के तापमान पर एक क्यूबिक मीटर हवा में 15 किलोग्राम वाष्प की मात्रा मौजूद है, तो इसे निरपेक्ष आर्द्रता कहा जाएगा।
2. सापेक्ष आर्द्रता :- सापेक्ष आर्द्रता किसी भी तापमान पर हवा में मौजूद जल वाष्प का अनुपात है और इसकी हवा को संतृप्त करने की क्षमता है। इसे प्रतिशत मात्रा में व्यक्त किया जाता है।
3. विशिष्ट आर्द्रता :- इसे आर्द्रता मिश्रण अनुपात भी कहा जाता है। विशिष्ट आर्द्रता इसमें मौजूद जलवाष्प की मात्रा के लिए कुल वायु मात्रा (जल वाष्प सहित) का अनुपात है। निरपेक्ष और विशिष्ट आर्द्रता दोनों व्यावहारिक रूप से समान हैं।
नोट :- संघनित वायु के ओसांक बिन्दु पर गैस से तरल या ठोस अवस्था में परिवर्तन संघनन (condensation) कहलाता है। ओसांक बिंदु पर हवा संतृप्त हो जाती है।