भारतीय वैज्ञानिकों ने एक नैनोरोड्स-आधारित ऑक्सीजन सेंसर विकसित किया है जो अल्ट्रा वायलेट विकिरण की सहायता से सामान्य (कमरे के) तापमान पर काम करता है और भूमिगतखदानों/ खानों, अत्यधिक ऊंचे ऊंचाई वाले स्थानों, हवाई जहाज और अनुसंधान प्रयोगशालाओं जैसे स्थानों में ऑक्सीजन गैस की सांद्रता का पता लगा सकता है।
बहुत कम पीपीएम-स्तर में ऑक्सीजन (O2) सांद्रता की निगरानी सबसे महत्वपूर्ण है, और कमरे के तापमान पर काम करने वाला एक तेज़ और चयनात्मक ऑक्सीजन सेंसर भूमिगत खदानों, उच्च ऊंचाई जैसी जगहों पर लोगों की जान बचा सकता है और अनुसंधान प्रयोगशालाओं में किए जा रहे कई प्रयोगों की सटीकता में सुधार कर सकता है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान, सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (सीईएनएस) के वैज्ञानिक डॉ. एस. अंगप्पन के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम ने मेटल ऑक्साइड सेमीकंडक्टर (एमओएस) का निर्माण किया है।
टीम ने प्रदर्शित किया कि यह सेंसर कम बिजली की खपत के साथ सबसे अच्छी संवेदनशीलता देता है और कमरे के तापमान पर काम करता है। तैयार किए गए सेंसरों ने 1000 पीपीएम पर क्रमशः लगभग 3 सेकंड और 10 सेकंड की प्रतिक्रिया और पुनर्प्राप्ति का समय प्रदर्शित किया। सेंसर अच्छी स्थिरता के साथ 25 पीपीएम से 10 लाख पीपीएम (100%) तक ऑक्सीजन सांद्रता में काम करता है। सुपीरियर सेंसिंग प्रॉपर्टी का कारण बढ़ी हुई विद्युत चालकता, एक्साइटन (एक इलेक्ट्रॉन और एक धनात्मक छिद्र का संयोजन) और यूवी विकिरण द्वारा सेंसर सतह से पानी के अणुओं (सतह से बाहर निकलने वाले) के अवशोषण बताया जाता है, जिससे ऑक्सीजन अणुओं की बढ़ी हुई मात्रा के स्लैंटेड नैनोरोड्स एरे (तिरछी नैनोरोड्स सरणी) में मौजूद टाइटेनियम डाइऑक्साइड में निहित क्रोमियम से परस्पर सम्पर्क में आसानी होती है I
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