आयुष मंत्रालय ने हाल ही में ब्रिक्स देशों के पारंपरिक औषधीय उत्पादों के मानकीकरण के नियमन संबंधी सामंजस्य पर एक वेबिनार का आयोजन किया। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के सलाहकार डॉ. मनोज नेसारी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और उद्घाटन संबोधन दिया। उन्होंने वेबिनार के बारे में जानकारी देते हुए, ब्रिक्स सहयोग को बढ़ाने और मजबूत करने के उद्देश्य से पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की ब्रिक्स 2021 प्राथमिकताओं और प्रदेयों पर जोर दिया। भारत के प्रस्ताव में पारंपरिक दवाओं में ब्रिक्स सहयोग पर समझौता ज्ञापन और पारंपरिक चिकित्सा संबंधी ब्रिक्स फोरम (बीएफटीएम) का गठन शामिल था।
भारत 2021 में ब्रिक्स का अध्यक्ष है और इस कार्यक्रम का आयोजन भारत की अध्यक्षता में किया गया। इस कार्यक्रम में भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, रूस और ब्राजील के पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र के प्रसिद्ध विशेषज्ञों और हितधारकों ने भाग लिया। आयुष मंत्रालय ने ब्रिक्स 2021 की भारत की अध्यक्षता के एक हिस्से के रूप में 24-26 फरवरी 2021 को हुई “ब्रिक्स शेरपाओं की पहली बैठक” के दौरान यह वेबिनार आयोजित करने का प्रस्ताव रखा था, जिस पर सदस्य देशों ने सहमति जतायी थी। आयुष मंत्रालय ने 25 मार्च, 2021 को “ब्रिक्स देशों के पारंपरिक दवा विशेषज्ञों” की आभासी बैठक की भी मेजबानी की थी।
उन्होंने ब्रिक्स देशों के बीच पारंपरिक औषधीय उत्पादों के मानकीकरण के विनियमन संबंधी सामंजस्य की आवश्यकता को रेखांकित किया। आयुष चिकित्सा प्रणाली के माध्यम से कोविड-19 से निपटने के लिए भारत द्वारा की गई पहल पर भी प्रकाश डाला गया।
वेबिनार के पहले सत्र के दौरान, ब्रिक्स देशों के प्रतिनिधियों ने औषधि विनियमों; सेवा मानक एवं विनियमों; अपने-अपने देशों में पारंपरिक चिकित्सा के औषधकोश परअपने देश से जुड़ी प्रस्तुतियां दीं। भारत ने तीन विषयों पर प्रस्तुतियों दीं जिनमें “आयुष विनियम और औषधकोश मानक”; “भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का औषधकोश- एक सिंहावलोकन और “आयुष स्वास्थ्य सेवाओं का मानकीकरण एवं विनियमन”शामिल थे। वेबिनार के दूसरे सत्र के दौरान ब्रिक्स देशों के पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र के उद्योग हितधारकों के बीच चर्चा हुई। भारत और चीन के पारंपरिक चिकित्सा उद्योग के प्रतिनिधियों ने व्यापक प्रस्तुतियां दीं।
ब्रिक्स देशों के पारंपरिक चिकित्सा के विशेषज्ञों और हितधारकों ने ब्रिक्स देशों सहित विश्व स्तर पर पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने से जुड़े भारत के प्रयासों एवं पहलों कीसराहना की और उनके लिए विस्तारित सहयोग एवं समर्थन की प्रतिबद्धता जतायी।
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