रक्षा अधिग्रहण परिषद ने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण तथा संचालन संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगभग 6,000 करोड़ रुपये की राशि के विभिन्न उपकरणों के पूंजी अधिग्रहण से संबंधित प्रस्तावों को मंजूरी दी है।
इसके अलावा, परिषद ने रणनीतिक साझेदारी (एसपी) मॉडल के तहत परियोजना पी 75 (आई) के तहत छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए आरएफपी जारी करने को भी मंजूरी प्रदान की है। इस परियोजना में 43,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से अत्याधुनिक एयर इंडिपेंडेंट प्रपल्शन (वायु स्वतंत्र प्रणोदन) प्रणाली से लैस छह पारंपरिक पनडुब्बियों का स्वदेश में निर्माण करने का फैसला किया गया है।
रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत संपादित होने वाला पहला अवसर होने की वजह से यह एक ऐतिहासिक स्वीकृति है। रणनीतिक दृष्टिकोण से, इससे आयात पर देश की वर्तमान निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी और धीरे-धीरे स्वदेशी स्रोतों से आपूर्ति की अधिक आत्मनिर्भरता तथा विश्वसनीयता सुनिश्चित होगी।
इस स्वीकृति के साथ ही, भारत पनडुब्बी निर्माण में राष्ट्रीय क्षमता हासिल करने तथा स्वदेशी रक्षा उद्योग के लिए स्वतंत्र रूप से देश में पनडुब्बियों के डिजाइन और निर्माण के वास्ते सरकार द्वारा परिकल्पित अपने 30 वर्षीय पनडुब्बी निर्माण कार्यक्रम का लक्ष्य प्राप्त करने में सक्षम होगा। रक्षा उद्योग के लिए नई प्रौद्योगिकियों एवं उन्नत विनिर्माण क्षमताओं की उपलब्धता से भारत में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
एसपी मॉडल के तहत यह परियोजना उद्योगों के लिए पनडुब्बी निर्माण में निवेश एवं समर्थन जुटाने में एक अद्वितीय दीर्घकालिक अवसर और योजना की निश्चितता प्रदान करती है। साथ ही इस कदम से भारतीय उद्योग तथा प्रमुख विदेशी मूल उपकरण निर्माता- ओईएम के बीच रणनीतिक गठजोड़ के माध्यम से देश में बनने वाली पनडुब्बियों में नवीनतम तकनीक और हथियार का भी इस्तेमाल सुनिश्चित होगा
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