वित्त आयोग के संबंध में, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 और 281 का उल्लेख किया गया है। वित्त आयोग एक अर्ध न्यायिक और सलाहकार निकाय है।
संरचना/गठन
- अनुच्छेद 280 (1) में यह प्रावधान है कि वित्त आयोग में एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्य होंगे जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाएगा।
- संसद के पास वित्त आयोग का निर्धारण करने के लिए अनुच्छेद 280 (2) के तहत शक्ति है।
- वित्त आयोग (विविध प्रावधान) अधिनियम, 1951 को संसद द्वारा वित्त आयोग के सदस्यों की योग्यता निर्धारित करने के लिए पारित किया गया है,
इसके तहत निम्न योग्यताएँ हैं:
- अध्यक्ष को ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो सार्वजनिक मामलों का जानकार हो।
- अन्य चार सदस्य उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने के योग्य हो या उन्हें प्रशासन और वित्तीय मामलों का विशेष ज्ञान हो या अर्थशास्त्र का विशेष ज्ञान हो।
कार्य
- भारत के राष्ट्रपति को सिफारिश करना कि संघ और राज्यों के बीच करों की शुद्ध प्राप्तियों को कैसे वितरित किया जाए और राज्यों के बीच इस तरह के आय का आवंटन।
- अनुच्छेद 275 के तहत संचित निधि से राज्यों को अनुदान / सहायता दी जानी चाहिए।
- राज्य वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर पंचायतों और नगर पालिकाओं के संसाधनों की आपूर्ति के लिए राज्य के समेकित निधि को बढ़ाने के लिए आवश्यक कदमों की सिफारिश करना।
- राष्ट्रपति द्वारा दिए गए कोई अन्य विशिष्ट निर्देश, जो देश के मजबूत वित्त के हित में हों।
शक्तियाँ
- आयोग अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, जिसे राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखवाता है।
- प्रस्तुत की गई सिफारिशों के साथ एक स्पष्टीकरण ज्ञापन भी प्रस्तुत किया जाना चाहिए ताकि प्रत्येक सिफारिश के संबंध में की गई कार्रवाई को जाना जा सके।
- वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशें एक सलाहकार प्रकृति की हैं माने या नहीं यह सरकार पर निर्भर करता है।
वित् ,सम्पति,संविदाएं,और वाद से सम्बंधित अनुच्छेद
वित् ,सम्पति,संविदाएं,और वाद से सम्बंधित अनुच्छेद |
अनुच्छेद 264:-निर्वचन |
अनुच्छेद 265:-विधि के प्राधिकार के विणा कारों का अधिरोपण न किया जाना |
अनुच्छेद 266:-भारत और राज्यों की संचित निधियों और लोक-लेखे |
अनुच्छेद 267:-आकस्मिक निधि |
अनुच्छेद 268:-संघ और राज्यों द्वारा विनियोजित की जाने वाले शुल्क |
अनुच्छेद 268A:-संघ और राज्यों द्वारा विनियोजित किया जाने वाला सेवा कर |
अनुच्छेद 269:-संघ द्वारा राज्यों को शौपे जाने वाला कर |
अनुच्छेद 270:-संघ और राज्यों के बिच वितरित किया जाने वाला कर |
अनुच्छेद 271:_कुछ शुल्क और करों पर संघ के प्रयोजनोके लिए अधिभार |
अनुच्छेद 272:-निरस्त |
अनुच्छेद 273:-जुट और जुट उत्पादकों पर निर्यात शुल्क के स्थान पर अनुदान |
अनुच्छेद 274:-कराधनो पर राष्टपति के पूर्व सिफारिश की अपेक्षा |
अनुच्छेद 275:-कुछ राज्यों को संघ से अनुदान |
अनुच्छेद 276:-वृतियाों,व्यापारों,आजीविकाओं और नियोजन पर कर |
अनुच्छेद 277:-व्याविर्ती |
अनुच्छेद 278: सातवे संविधान संशोधन अधिनियम 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा निरसित |
अनुच्छेद 279:-शुध्द अगम आदि की गणना |
अनुच्छेद 280:-वित् आयोग |
अनुच्छेद 281:-वित् आयोग की सिफारिशें |
अनुच्छेद 282:-संघ या राज्यों द्वारा अपने राजस्व के लिए किये जाने वाला व्यय |
अनुच्छेद 283:-संचित निधियों,आकस्मिक निधियों,और लोक लेख्यो में जमा धनराशियों की अभिरक्षा करना |
अनुच्छेद 284:-लोक सेवकों और न्यायालयों द्वारा प्राप्त वाद्कर्ताओं की जमा राशियो की रक्षा |
अनुच्छेद 285:-संघ की सम्पति को राज्य के कराधान से छूट |
अनुच्छेद 286:-माल के क्रय या विक्रय पर कर के अधिरोपण के बारे में निर्बंधन |
अनुच्छेद 287:-विधुत पर करों से छूट |
अनुच्छेद 288:-जल या विधुत के सम्बन्ध में राज्यों द्वारा कराधान से कुछ दशाओं में छूट |
अनुच्छेद 289:-राज्यों की सम्पति और आय को संघ की कराधान से छूट |
अनुच्छेद 290:-कुछ व्ययों और पेंशनों के सम्बन्ध में समायोजन |
अनुच्छेद 290A:-कुछ निधियों को वार्षिक संदाय |
अनुच्छेद 291:-26 वें सविधान संशोधन अधिनियम 1971 की धारा 2 द्वारा निरसित |
अनुच्छेद 292:-भारत सरकार द्वारा उधार लेना |
अनुच्छेद 293:-राज्यों द्वारा उधार लेना |