‘अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ प्रतिवर्ष 21 फरवरी को मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य भाषा विज्ञान के बारे में जागरूकता, सांस्कृतिक विविधता तथा बहुभाषावाद को बढ़ावा देना है। दिनांक 17 नवम्बर, 1999 को यूनेस्को (UNESCO) ने इसकी घोषणा की थी। इस दिवस को मनाने का विचार सबसे पहले बांग्लादेश (रफीकुल इस्लाम) द्वारा दिया था। बांग्लादेश में यह दिन बांग्ला भाषा के अस्तित्व को बनाए रखने की वर्षगाँठ के रूप में वर्ष 1952 से मनाया जाता है।
वर्ष 2022 के लिए अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की थीम ‘Using technology for multilingual learning: Challenges and opportunities (बहुभाषी शिक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना: चुनौतियाँ और अवसर)’ है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2022 से 2032 के दशक को ‘स्वदेशी भाषाओं का अंतर्राष्ट्रीय दशक’ के रूप में मनाया जाएगा। भारत के संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाएँ 93.71 प्रतिशत लोगों की मातृभाषा है। भारत प्राचीन समय से बहुभाषी देश रहा है लेकिन अब ये संस्कृति भी खतरे में हैं।