भारत सरकार बिहार में मिनी फूड पार्कों का नेटवर्क स्थापित करने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने इसके लिए सघन सर्वेक्षण के निर्देश दिए हैं। इसके तहत मखाना, लीची और केला पर आधारित उत्पादों के मिनी फूड पार्कों का नेटवर्क बनाया जाएगा। इसके अलावा आलू और मक्का से आधुनिक तकनीक के जरिए नए-नए खाद्य उत्पाद तैयार करने वाले उद्योगों की शृंखला की संभावना भी केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय तलाशेगा।
बिहार में पैदा होने वाले खाद्य उत्पादों को राज्य के भीतर लंबे समय तक संरक्षित रखने के लिए कोल्ड चेन नेटवर्क मसलन कोल्ड स्टोरेज, फ्रोजेन सेंटर या फ्रीज वैन का नेटवर्क स्थापित करना भी इसके तहत शामिल है। खाद्य उत्पादों पर आधारित उद्योगों की पैकेजिंग या दूसरे सहायक उद्योगों की संभावना पर भी इसके तहत गौर किया जा रहा है। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के सर्वेक्षण में चर्चित फलों या फसलों के अलावा बाकी पैदावारों के प्रसंस्करण की संभावना तलाशी जाएगी।
भारत सरकार मिनी फूड पार्क स्थापित करने के लिए 10 करोड़ से लेकर 50 करोड़ तक का अनुदान दे सकती है । सर्वेक्षण के जरिए खास इलाकों को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के कच्चा माल के उत्पादन सुधारकर अच्छी गुणवत्ता के स्तर तक ले जाने और उन्हें कोल्ड चेन नेटवर्क के जरिए संरक्षित कर प्रसंस्करण केंद्रों तक ले जाने का इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना है।