आज विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस है.

आज विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस है। यह दिन वर्ष 1947 में भारत के विभाजन के दौरान लोगों के दर्द और पीड़ा को याद करता है।

आज, विभाजन स्मृति दिवस के अवसर पर, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि दी। एक ट्वीट में श्री मोदी ने इतिहास के दर्दनाक दौर का सामना करने वाले सभी लोगों की ताकत और धैर्य की प्रशंसा की।

क्या है विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस

देश-दुनिया के इतिहास में 14 अगस्त की तारीख का अहम स्थान है। भारत के इतिहास में आज का दिन ‘पार्टीशन हॉर्ररस रिमेम्बरेंस डे’ यानि ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है। दरअसल अखंड भारत के आजादी के इतिहास में 14 अगस्त की तारीख आंसुओं से लिखी गई है। यही वह तारीख है जब देश का विभाजन हुआ। 14 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान और 15 अगस्त, 1947 को भारत को पृथक राष्ट्र घोषित कर दिया गया। इस विभाजन में न केवल भारतीय उपमहाद्वीप के दो टुकड़े किए गए बल्कि बंगाल का भी विभाजन किया गया। बंगाल के पूर्वी हिस्से को भारत से अलग कर पूर्वी पाकिस्तान बना दिया गया। यह 1971 के युद्ध के बाद बांग्लादेश बना। कहने को तो इसे देश का बंटवारा कहा गया, लेकिन यह दिलों का, परिवारों का, रिश्तों का और भावनाओं का बंटवारा था।

इतिहास

आजादी के वक्त भारत की आबादी करीब 40 करोड़ थी। भारत को आजादी तो मिली लेकिन बंटवारे की कीमत पर। आजादी मिलने से काफी पहले से मुसलमान अपने लिए एक अलग मुल्क की मांग कर रहे थे।इनकी अगुआई मुस्लिम लीग के मोहम्मद अली जिन्ना कर रहे थे। हिंदू बहुल भारत में मुसलमानों की आबादी करीब एक चौथाई थी। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू बंटवारे के खिलाफ थे। जिन्ना की जिद ने अंग्रेजों को यहां से जाते-जाते एक लकीर खींच देने का मौका दे गई। ऐसी लकीर जो आज भी उथल-पुथल मचाती रहती है। सिर्फ इस लकीर की वजह से दुनिया ने सबसे बड़ा विस्थापन देखा। करीब 1.45 करोड़ लोग विस्थापित हुए। बंटवारे के वक्त हुए दंगों में लाखों लोग मारे गए। जिन लोगों ने एक साथ आजादी का सपना देखा, वो ही एक-दूसरे को मारने पर आमादा हो गए। सबसे ज्यादा दर्द महिलाओं ने झेला। उन्हें पुरुषों की लड़ाई में महिला होने की कीमत चुकानी पड़ी।

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