बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने पंचायत चुनाव होने तक मुखिया, प्रमुख जिला परिषद अध्यक्ष और सरपंच के कार्यों को सलाहकार समिति के माध्यम से करने के लिए एक अध्यादेश (Amendment in bihar Panchayati Raj Act) को मंजूरी दे दी है। अधिसूचना के अनुसार बिहार राज्य पंचायत अधिनियम 2006 की धारा 14,39,66 में होगा संशोधन, पंचायत से लेकर जिला परिषद के लिए अलग-अलग परामर्श समिति गठित की जायेगी, अधिनियम में संशोधन का आदेश जारी कर दिया गया है. अब पंचायती राज विभाग नियम बनाकर संशोधन करेगा।
राज्य मंत्रिमंडल ने मंगलवार को पंचायत चुनाव होने तक पंचायतों के कामकाज के संबंध में एक सलाहकार समिति गठित करने का फैसला किया था। जिसके बाद इसे राज्यपाल की सहमति के लिए भेजा गया था। बुधवार को राज्यपाल ने अपनी सहमति दे दी है और इसे बिहार गजट में प्रकाशित कर दिया गया है. 15 जून को निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म होने के बाद इसके अगले दिन यानी 16 जून से बिहार में ग्राम पंचायतों से लेकर पंचायत समिति और जिला परिषद में कामकाज परामर्श समिति के माध्यम से चलेगा.
नीतीश सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के अनुसार जब कभी बिहार में पंचायत चुनाव नियत समय पर संपन्न नहीं हो पायेगा तो इसी व्यवस्था के तहत पंचायती राज संस्थाओं का कामकाज संपन्न होगा. नए अध्यादेश के अनुसार पंचायत परामर्श समिति के निवर्तमान मुखिया ही प्रमुख होंगे. जबकि सभी निवर्तमान वार्ड सदस्य पंचायत सचिव प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा नामित पंचायत क्षेत्र का एक निवासी और राज्य या किसी सार्वजनिक उपक्रम का सेवानिवृत्त (रिटायर) शख्स इस समिति का सदस्य होगा.
अधिसूचित क्षेत्रों में मुखिया पंचायत परामर्श समिति के अध्यक्ष होंगे और वार्ड सदस्य पंचायत सचिव सदस्य होंगे. मुखिया को ग्राम पंचायत परामर्शी समिति का प्रधान माना जाएगा उसे सभी अधिकार प्रदत होंगे जो एक निर्वाचित मुखिया को होता है. परामर्श समिति की बैठक में प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी के अलावा अंचल निरीक्षक और प्रखंड समन्वयक सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल होंगे. सरकारी योजनाओं की मॉनिटरिंग और उसे विभाग के संज्ञान में लाने की जिम्मेवारी अधिकारियों की होगी.