अमृत परंपरा फेस्टिवल सीरीज प्रारंभ : कला और संस्कृति के जरिए उत्तर से दक्षिण तक एकता का उत्सव

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘अमृत परम्परा’ फेस्टिवल सीरीज की शुरुआत की है। यह सीरीज भारत की पारंपरिक कलाओं, शिल्प, संगीत, नृत्य और लोक परंपराओं को व्यापक रूप से प्रदर्शित और संरक्षित करने के लिए आयोजित की जा रही है।

‘अमृत परम्परा’ फेस्टिवल सीरीज का उद्देश्य विभिन्न कला रूपों को प्रोत्साहन देना, लोक कलाकारों और कारीगरों को एक मंच प्रदान करना, और युवाओं के बीच भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति जागरूकता फैलाना है। इसके माध्यम से लोग भारत की अनूठी सांस्कृतिक विविधता से रूबरू होंगे और विभिन्न राज्यों के शिल्प, संगीत, नृत्य और लोक कलाओं का आनंद ले सकेंगे।

इस फेस्टिवल सीरीज के कार्यक्रम देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित किए जाएंगे, ताकि हर क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान को सम्मानित किया जा सके। यह पहल आज़ादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत की गई है, जो भारत की आज़ादी के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है।

संस्कृति मंत्रालय द्वारा शुरू की गई अमृत परंपरा फेस्टिवल सीरीज का पहला कार्यक्रम ‘कावेरी मीट्स गंगा’ विशेष सांस्कृतिक महोत्सव के रूप में दिल्ली के कर्तव्य पथ और द्वारका के सेंटर फॉर कल्चरल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (CCRT) में आयोजित किया जा रहा है। इस महोत्सव का उद्घाटन 2 नवंबर 2024 को विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा किया गया। यह फेस्टिवल सीरीज भारत की विविध कला और सांस्कृतिक परंपराओं को बढ़ावा देने के साथ-साथ उन्हें संरक्षित करने का एक प्रयास है।

कावेरी मीट्स गंगा‘ महोत्सव का उद्देश्य उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक विविधताओं का संगम प्रस्तुत करना है, जिससे राष्ट्र में एकता और सांस्कृतिक सद्भाव को बढ़ावा मिले। तमिलनाडु के प्रसिद्ध मार्गाजी उत्सव से प्रेरित इस महोत्सव में देश के विभिन्न भागों की कला शैलियों और परंपराओं का प्रदर्शन किया जा रहा है।

इस कार्यक्रम में भारत की विभिन्न सांस्कृतिक धरोहरों को प्रमुखता दी गई है:

  • ब्रज क्षेत्र की गोवर्धन पूजा का प्रदर्शन
  • आंध्र प्रदेश का प्रसिद्ध कुचीपुड़ी नृत्य
  • भरतनाट्यम का प्रदर्शन (प्रसिद्ध कलाकार रमा वैद्यनाथन और मीनाक्षी श्रीनिवासन द्वारा)
  • केरल की पारंपरिक पंचवाद्यम लोक कला

संगीत का भी विशेष ध्यान रखा गया है, जहाँ प्रसिद्ध बांसुरी वादक राकेश चौरसिया और सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान जैसी हस्तियाँ अपनी प्रस्तुति देंगी।

‘अमृत परंपरा’ फेस्टिवल के आयोजन का उद्देश्य न केवल लुप्त होती भारतीय कलाओं को पुनर्जीवित करना है, बल्कि कला और संस्कृति के माध्यम से देश में एकता और सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा देना भी है।

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