बिहार कला एवं संस्कृति की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण राज्य है इस अध्याय में हम बिहार की कला एवं संस्कृति का अध्ययन करेंगे जिसे हमने मुख्यतः तीन भागो में विभाजित किया है
- बिहार के लोकनाट्य
- बिहार के लोकनृत्य
- बिहार के लोकगीत
बिहार के लोकनाट्य
जट–जाटिन – इस नाट्य में मुख्यतः कुंवारी लड़कियां भाग लेती है यह लोकनाट्य एक जट और उसकी पत्नी जिसे जटिन कहा जाता है के दांपत्य जीवन पर आधारित हैं
डोमकच – जब किसी विवाह समारोह के दौरान जब वर पक्ष की तरफ से बारात निकल जाती है तो वर के घर पर महिलाओं द्वारा इस नाट्य का आयोजन किया जाता है
भकुली बंका – इसका आयोजन श्रावन से कार्तिक महीने तक ग्रामीण लोगो द्वारा किया जाता है
सामा-चकेवा – इसका आयोजन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में सप्तमी से पूर्णिमा तक किया जाता है इस नाट्य के मुख्य पात्र भाई – बहन (सामा और चकेवा) की भूमिका में होते है जिन्हें मिटटी से बनाया जाता है
कीर्तनियां – इस नाट्य में श्रीकृष्ण की लीलाओं का मंचन किया जाता है
विदेशियाँ – बिहार का यह नाट्य प्रसिद्ध लोककवि भिखारी ठाकुर की रचना पर आधारित हैं
बिहार के लोकनृत्य
छऊ नृत्य – यह नृत्य युद्ध से सम्बंधित है जो मुख्य रूप से पुरुषो द्वारा किया जाता है
करमा नृत्य – यह नृत्य बिहार की आदिवासी जनजातियों द्वारा फसलों की कटाई और बुआई के समय ‘करम देवता’ को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है
कठघोड़वा नृत्य – यह नृत्य नृतकों द्वार अपनी पीठ से बाँस की खपचयियों से बना घोड़े के आकार का ढाँचा बाँध कर किया जाता है
धोबिया नृत्य – यह बिहार के धोबी समाज का प्रमुख नृत्य है
पवड़िया नृत्य – यह नृत्य बिहार के पुरुषो द्वारा स्त्रियों की वेशभूषा में किया जाता हैं
जोगिया नृत्य – यह नृत्य पुरुषो एवं महिलाओं द्वारा होली के अवसर पर किया जाता है
झिझिया नृत्य – यह नृत्य दुर्गापूजा के अवसर पर किया जाता है
खीलडीन नृत्य – यह नृत्य विशेष अवसरों पर अतिथियों के मनोरंजन के लिए किया जाता है
बिहार के लोकगीत
बिहार में अनेक प्रकार के लोकगीत प्रचलित है जो पर्व-त्योहार, शादी-विवाह, जन्म, मुंडन, जनेऊ आदि अवसरों पर गाए जाते हैं बिहार में गाये जाने वाले कुछ प्रमुख लोकगीत निम्नलखित है
पर्व गीत – ये लोकगीत विशेष पर्व जैसे तीज, नागपंचमी, गोधन, छठ आदि के अवसर पर गए जाते है
संस्कार गीत – ये लोकगीत विभिन्न संस्कारो जैसे शादी-विवाह, जन्म, मुंडन, जनेऊ आदि के समय गए जाते है
ऋतू गीत – ये गीत किसी विशेष ऋतू में गाये जाते है