त्रिपुरा में ब्रू शरणार्थियों को शुरू कर हो गई है।इस समुदाय के लोगों को मिज़ोरम में उन समूहों द्वारा लक्षित किया गया है जो इन्हें विदेशी मानते हैं। यह बसाने की प्रक्रिया जनवरी 2020 में नई दिल्ली में हस्ताक्षरित एक चतुर्पक्षीय समझौते के अनुसार है।
ब्रू या रियांग (Reang) पूर्वोत्तर भारत का एक समुदाय है, जो ज़्यादातर त्रिपुरा, मिज़ोरम और असम में रहता है। यह समुदाय त्रिपुरा में विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (Particularly Vulnerable Tribal Group) के रूप में पहचान जाता है।वर्ष 1997 की जातीय झड़पों के बाद लगभग 37,000 ब्रू शरणार्थी मिज़ोरम के मामित, कोलासिब और लुंगलेई ज़िलों से भाग गए, बाद में इन्हें त्रिपुरा में राहत कैंपों में रखा गया। तब से लगभग 5,000 हज़ार ब्रू लोगों को आठ चरणों में वापस मिज़ोरम भेज दिया गया है, लेकिन अब भी लगभग 32,000 हज़ार ब्रू शरणार्थी उत्तरी त्रिपुरा के छः राहत कैंपों में रह रहे हैं।
चतुर्पक्षीय समझौता:
इस चतुर्पक्षीय समझौते पर जनवरी 2020 में केंद्र सरकार, मिज़ोरम और त्रिपुरा की सरकारों तथा ब्रू संगठनों के नेताओं ने हस्ताक्षर किये थे। गृह मंत्रालय ने इन्हें त्रिपुरा में बसाने की प्रक्रिया का पूरा खर्च उठाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
इस समझौते के तहत विस्थापित ब्रू परिवारों के लिये निम्नलिखित व्यवस्था की गई है-
विस्थापित परिवारों को 1200 वर्ग फीट (40X30 फीट) का आवासीय प्लाॅट दिया जाएगा।
पुनर्वास सहायता के रूप में परिवारों को दो वर्षों तक प्रतिमाह 5 हज़ार रुपए और निःशुल्क राशन प्रदान किया जाएगा।
प्रत्येक विस्थापित परिवार को घर बनाने के लिये 1.5 लाख रुपए की नकद सहायता प्रदान की जाएगी।