हिन्द महासागर का नितल हिन्द महासागर की प्रमुख धाराएँ मानसूनी हवाओं तथा स्थलमण्डल का हिंद महासागर की धाराओं पर बहुत प्रभाव पड़ता है। उत्तर में भारतीय उपमहाद्वीप, पश्चिम में अफ्रीका और दक्षिण में ऑस्ट्रेलिया से घिरा होने के कारण, हिंद महासागर में Read More …
Category: सामान्य ज्ञान
प्रशांत महासागर
महासागरीय धाराएँ महासागर धाराएँ एक निश्चित दिशा में बहने वाले महासागर के जल की गति हैं। धाराओं की दिशा गति और आधार के आधार पर कई प्रकारों में विभाजित होती है; जैसे – बहाव, करंट, विशाल धारा (satram)। प्रशांत महासागर की Read More …
अटलांटिक महासागर
महासागरीय धाराएँ Note :- तापमान के आधार पर महासागरीय धाराएँ दो प्रकार की होती है, गर्म धाराएँ तथा ठण्डी धाराएँ। अटलाण्टिक महासागर धाराएँ अटलाण्टिक महासागर में शीत व उष्ण दोनों प्रकार की धाराएँ चलती है। अटलाण्टिक महासागर की प्रमुख धाराएँ निम्न है उत्तरी अटलाण्टिक महासागर की धाराएँ उत्तरी अटलाण्टिक महासागर की धाराएँ निम्नलिखित है उत्तरी अटलाण्टिक भूमध्यरेखीय धारा व्यापारिक हवाओं के कारण इस धारा का प्रवाह दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर है। Read More …
महासागरीय तापमान एवं प्रभावित करने वाले कारक
महासागरीय तापमान सतह के तापमान की तरह, समुद्र के पानी का तापमान वनस्पतियों और जीवों के लिए महत्वपूर्ण है। महासागर के पानी का तापमान न केवल महासागरों में रहने वाली वनस्पतियों और वनस्पतियों को प्रभावित करता है, बल्कि तटीय क्षेत्रों में Read More …
महासागरीय गर्त
महासागरीय गर्त विश्व के प्रमुख महासागरीय गर्त गर्त का नाम अधिकतम गहराई (मीटर में) महासागर मेरियाना (गुआम द्वीप ) 11,o22 उत्तरी प्रशांत महासागर टोंगा (समोआ द्वीप ) 10,880 दक्षिणी प्रशांत महासागर मिंडानाओ अथवा फिलीपींस 10,475 उत्तरी प्रशांत महासागर प्यूर्टोरिको 8,605 उत्तरी अटलांटिक महासागर दक्षिणी सैन्डविच अथवा रॉक 8,325 दक्षिणी अटलांटिक महासागर जावा अथवा सुण्डा 7,725 हिन्द महासागर पेरू – चिली अथवा अटाकामा 7,635 दक्षिणी प्रशांत महासागर एल्यूशियन Read More …
चंद्रग्रहण एवं सूर्यग्रहण
चंद्रग्रहण एवं सूर्यग्रहण चंद्रमा पृथ्वी का एक मात्र उपग्रह है। चंद्रमा की विशिष्ट स्थिति और सापेक्ष गति के कारण, चंद्रमा की विभिन्न कलाएं निर्मित होती हैं। चंद्रमा एक प्रकाशहीन पिंड है। यह सूर्य के प्रकाश से प्रदीप्त होता है, लेकिन इसके गोल Read More …
अक्षांश और देशांतर
पृथ्वी अक्षांश रेखा किसी स्थान के भूमध्य रेखा से उत्तर और दक्षिण की ओर की कोणात्मक दूरी को उस स्थान का अक्षांश कहा जाता है। कोणात्माक दूरी वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा को अक्षांश रेखा कहा जाता है। भूमध्य रेखा Read More …
समुद्र तट एवं तट रेखाएँ
समुद्र तट एवं तट रेखाएँ भूमि और समुद्र के मिलन रेखा को तट रेखा कहा जाता है। उत्पत्ति के आधार पर दो प्रकार के समुद्र तट हैं। उन्मग्न तट रेखाएँ जब समुद्र तट के तल में परिवर्तन होता है या जब भूगर्भीय हलचलों के कारण समुद्र Read More …
ब्रह्मांड एवं सौरमंडल
ब्रम्हाण्ड आकाशगंगाओं के सभी पुंज को एक साथ ब्रह्माण्ड कहा जाता है, अर्थात सबसे छोटे अणुओं से लेकर अलौकिक आकाशगंगाओं तक के संयुक्त रूप को ब्रह्मांड कहा जाता है। ब्रम्हाण्ड की उत्तपति से संबंधित अन्य सिद्दांत ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में “बिग बैंग सिद्धांत” सबसे Read More …
पृथ्वी का जल वितरण
पृथ्वी का जल वितरण जलाशय आयतन (मिलियन घन किमी) कुल का प्रतिशत महासागर 1370 97.25 हिमानी 29 2.05 भूमिगत जल 9.5 0.68 झीले 0.125 0.01 मिटटी में नमी 0.065 0.005 बायुमण्डल 0.013 0.001 नदी -नाले 0.0017 0.0001 जैवमंडल 0.0006 0.00004
पृथ्वी के प्रमुख गतियाँ
पृथ्वी के प्रमुख गतियाँ सूर्य से दुरी के अनुसार तीसरा, जबकि आकार में पांचवां सबसे बड़ा ग्रह पृथ्वी है। यह 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकंड में 1610 किमी प्रति घंटे की गति से पश्चिम से पूर्व की ओर Read More …
पृथ्वी की आंतरिक्ष संरचना
पृथ्वी की आंतरिक्ष संरचना ► पृथ्वी की आंतरिक्ष संरचना की जानकारी देने वालों स्त्रोंतों को दो वर्गों में बाँटा गया है :- अप्राकृतिक स्त्रोत अप्राकृतिक स्त्रोतों में ताप, दबाव व घनत्व शामिल है। पृथ्वी में भू-गर्भ की ओर बढ़ने पर आमतौर पर तापमान 1 डिग्री सेल्सियस प्रति 32 मीटर की दर से बढ़ता है, लेकिन तापमान बढ़ने की यह दर एक सीमा तक सीमित होती है। दबाव : Read More …