खेती के प्रकार एवं उनके प्रतिरूप झूम खेती :- पूर्वोतर क्षेत्र में वनो को जलाकर की जाती है गहन खेती:- खेती के लिए अधिक उपयोग किया गया जमीन विस्तृत खेती:-बारे भूखंडो पर की जाने वाली खेती बागानी खेती :- पहाड़ी ढलानों के सहारे बागान की जाने वाली खेती जीवन -निर्वाह खेती :-जीवन यापन के लिए की जाने वाली खेती मिश्रित खेती:-खेती के साथ पशुपालन करना सतत खेती:- पारिस्थितिकी के सिद्धांत के अनुसार की जाने वाली खेती मिश्रित फसल :- दो या दो से अधिक फसल को एक ही साथ एक ही खेत में उगाना अंतरफसलीकरण:-दो या दो से अधिक फसल को एक साथ एक निश्चित पैटर्न पर उगाना खेतियों के विभिन्न नाम नाम खेती एरोपोनिक पोधो को हवा में उगाना एपिकल्चर मधुमक्खी पालन हॉर्टिकल्चर बागवानी फ्लोरीकल्चर फूल विज्ञान ओलेरिकल्चर सब्जी विज्ञान पोमोलॉजी फल विज्ञान विटीकल्चर अंगूर की खेती वर्मीकल्चर केंचुए का पालन पीसीकल्चर मछली पालन सेरीकल्चर Read More …
Category: भूगोल
यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त 9 जैवमंडल एवं उनके क्षेत्र
यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त 9 जैवमंडल नाम राज्य वर्ष नीलगिरि तमिलनाडु ,केरल,कर्णाटक 2000 मन्नार की खाड़ी तमिलनाडु 2001 सुंदरवन पश्चिम बंगाल 2001 नंदा देवी उत्तराखंड 2004 नोकरेक मेघालय 2009 पंचमढ़ी मध्य प्रदेश 2009 सिमलीपाल ओड़िशा 2009 अचानकमार अमरकंटक छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश 2012 निकोबार द्वीप अंदमानव निकोबार 2013
भैस के प्रमुख प्रजाति
भैस के प्रमुख प्रजाति जाति उपयोग क्षेत्र भदावरी दुधारू उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सुरती दुधारू गुजरात मेहसाणा दुधारू गुजरात जफरवारी दुधारू गुजरात मुर्रा दुधारू पंजाब,हरयाणा नागपुरी भारवाहक महाराष्ट्र,पंजाब नीली रावी दुधारू हरियाणा पंजाब
विश्व के प्रमुख जलसंधिया
जलसन्धियाँ क्या है जलसन्धियाँ दो अलग-अलग जल निकायों को जोड़ते हैं, और दो स्थलखण्डों को अलग करते हैं। जबकि दो जलराशियों को अलग करने एवं दो स्थलखण्डों को जोड़ने वाले भू – खण्ड को स्थलखण्ड कहते है। जलसन्धियाँ का व्यावसायिक Read More …
ज्वार- भाटा
ज्वार- भाटा सूर्य और चंद्रमा के आकर्षण के कारण, समुद्र के पानी के उठने और गिरने की घटना को ज्वार कहा जाता है। जब समुद्री जल एक लहर के रूप में ऊपर उठता है, तो उसे ज्वार या ज्वारीय तरंग Read More …
एल-निनो एवं ला-नीना
एल-निनो एवं ला-निनो एल – निनो यह एक गर्म पानी की धारा है, जो दक्षिण अमेरिका के पेरू तट के पश्चिम में उत्पन्न होती है। यह उत्तर से दक्षिण दिशा में बहती है। इसे काउंटर करंट के रूप में भी जाना जाता Read More …
हिमालयी नदियाँ
हिमालयी नदियाँ एवं उनके उद्गम स्थल नदी उद्गम स्थल लम्बाई(किमी ) सिंधु तिब्बत में मानसरोवर झील 880 झेलम वेरीनाग झील 724 चेनाब बारा लाचा 1180 रावी रोहतांग के निकट से 725 व्यास व्यास कुंड से 460 सतलज मानसरोवर के निकट 1450 गंगा गंगोत्री हिमनद 2525 यमुना यमुनोत्री 1326 घाघरा मापचाचुग हिमनदी 1080 गंडक नेपाल तिब्बत सिमा 425 कोसी सिक्किम तिब्बत नेपाल सीमा 730 ब्रम्पुत्र मानसरोवर के निकट 2900 Read More …
नदी तंत्र
नदी जल द्वारा निर्मित स्थलाकृति नदी का जीवन क्रम नदी अपने जीवन क्रम में तीन अवस्थाओं में होकर गुजराती है :- 1) युवावस्था इस अवस्था में नदियों की संख्या बहुत कम है। ये नदियाँ उथली V आकार की घाटी बनाती हैं, क्योंकि नदियाँ लम्बवत अपरदन करती हैं। इन क्षेत्रों में जल विभाजक भी पाए जाते Read More …
झीलों का वर्गीकरण
झील झीलें भूतल के विस्तृत गड्ढे हैं जो पानी से भरे होते हैं और स्थल के अंदरूनी हिस्से में स्थित होते हैं। यद्यपि कुछ झीलें स्थल के बाहरी हिस्सों में भी पाई जाती हैं, यह एक अस्थायी स्थलाकृति है जो Read More …
जलीय चक्र
जलीय चक्र पानी एक चक्रीय संसाधन है जिसका पुन: उपयोग किया जा सकता है। जैसे जल, जल चक्र द्वारा समुद्र से सतह तक और सतह से समुद्र तक पहुंचता है। जलीय चक्र चक्र पृथ्वी के नीचे, पृथ्वी के ऊपर और Read More …
जल-प्रपात
जल-प्रपात जब नदी ऊंचाई से सीधी भूपटल पर गिरती है, तो एक झरना बनता है। जल-प्रपात का निर्माण दो दशाओं में होती है:- 1) जब हार्ड शेल और सॉफ्ट शेल एक क्षैतिज दिशा में स्थित होते हैं, तो सॉफ्ट शेल Read More …
चट्टानें
चट्टानें वे सभी सामग्रियां जिनमें से पृथ्वी की भू-पर्पटी बनती है (जो जमीन से 16 किमी की गहराई तक फैली हुई है), चाहे वे ग्रेफाइट की तरह सख्त हों या चाकी अथवा मृत की भांति मुलायम हो चट्टान कहलाते है। Read More …