जैव विविधता संधि के तहत 16वीं कॉप (COP-16) बैठक कोलंबिया के काली शहर में सम्पन्न हुई। इस बैठक का मुख्य विषय “प्रकृति के साथ शांति” था, जिसमें जैव विविधता संरक्षण में मूल निवासियों और अफ्रीकी नस्ल के समुदायों की आवश्यक भूमिका को मान्यता दी गई। इस सम्मेलन की अध्यक्षता सुसाना मुहम्मद और कोलंबिया के विदेश मंत्री लुई गिल्बर्टो मुरिलो ने की, जिन्होंने इस महत्वपूर्ण निर्णय का स्वागत किया।
सम्मेलन में कई अहम परिणाम हासिल किए गए, जिनमें विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय समुद्री क्षेत्रों में पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण जहाजरानी क्षेत्रों की पहचान और उनकी सुरक्षा के लिए एक वैश्विक कोष की स्थापना का समझौता शामिल है। यह कोष वैश्विक समुद्री पारिस्थितिकी को संरक्षित करने में सहायता करेगा।
कोलंबिया वर्ष 2026 तक इस सम्मेलन की अध्यक्षता करता रहेगा, जिसके बाद इसकी अध्यक्षता आर्मेनिया को सौंपी जाएगी।
पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कोलंबिया में आयोजित कॉप-16 बैठक में भारत की अद्यतन ‘राष्ट्रीय जैव विविधता कार्य नीति और योजना’ (NBSAP) का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने नीति को अद्यतन करने में भारत द्वारा अपनाए गए ‘संपूर्ण सरकार’ और ‘संपूर्ण समाज’ दृष्टिकोण पर जोर दिया, जिसका उद्देश्य देश में व्यापक स्तर पर जैव विविधता संरक्षण सुनिश्चित करना है।
यह नीति भारत की पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए एक ठोस कार्यनीति का ढांचा प्रस्तुत करती है। इसके अंतर्गत पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली, संकटग्रस्त प्रजातियों के पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम, और समुदाय-संचालित संरक्षण प्रयासों के माध्यम से जैव विविधता को संरक्षित और बढ़ावा देने के उपाय शामिल हैं। इस कार्य योजना का उद्देश्य जैव विविधता के स्थायी प्रबंधन के लिए सरकार, नागरिक समाज और स्थानीय समुदायों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है।