जनवरी‚ 2022 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भारतीय स्टेट बैंक‚ ICICI बैंक और HDFC बैंक की पहचान घरेलू व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण बैंक (Domestic Systemically Important Bank, D-SIBs) के रूप में जारी रहने की घोषणा की।
रिजर्व बैंक के अनुसार जिन बैंकों की संपत्ति कुल राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद के 2 प्रतिशत से अधिक है‚ उन्हें आर्थिक रूप से राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण बैंक माना जाता है।
इन बैंकों की असफलता से भारतीय अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
रिजर्व बैंक ने वर्ष 2014 में डी-एसआईबी का फ्रेमवर्क जारी किया था तथा 2015 से घरेलू प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैकों की सूची जारी कर रहा है।
राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में उनके महत्व के अनुसार उन्हें पांच बकेट में वगीaेकृत किया जाता है।
आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक को बकेट 1 में तथा एसबीआई को बकेट 3 में रखा गया है।
RBI के अनुसार‚ इन बैंकों को निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए।
बैंकों को टियर-1 इक्विटी के रूप में जोखिम-भारित परिसंपत्ति (RWA) उच्च हिस्सा बनाए रखना है।
SBI को घरेलू व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण बैंक (D-SIB) के बकेट (Bucket) तीन में रखा गया है‚ इसलिए SBI को सामान्य इक्विटी टियर-1 (CET-1) को जोखिम भारित परिसंपत्ति (RWA) के 0.6 प्रतिशत बनाए रखना है।
दूसरी ओर ICICI और HDFC को बकेट 1 में स्थान मिला है‚ इसलिए सामान्य इक्विटी टियर-1 को अपने जोखिम भारित परिसंपत्ति (RWA) के 0.2 प्रतिशत दर बनाए रखना है।
भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल‚ 1935 को हुई थी।