एल-नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO) एक जलवायु प्रणाली है जो प्रशांत महासागर के भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में समुद्र की सतह के तापमान और वायुमंडलीय स्थितियों में परिवर्तन के कारण होती है। यह घटना दो प्रमुख चरणों में होती है: एल-नीनो और ला-नीना।
एल-नीनो
एल-नीनो स्थिति में, प्रशांत महासागर के पूर्वी और मध्य भाग में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है। इससे हवा की गति, समुद्र की धाराओं और वायुमंडलीय दबाव में महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। यह स्थिति सामान्यत: कुछ महीनों से लेकर एक साल तक बनी रह सकती है।
ला-नीना
ला-नीना स्थिति में, प्रशांत महासागर के पूर्वी और मध्य भाग में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से कम हो जाता है। इससे सामान्य से विपरीत वायुमंडलीय परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं।
ENSO का भारतीय मानसून पर प्रभाव
ENSO की घटनाएँ भारतीय मानसून पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। विशेषकर, एल-नीनो और ला-नीना के विभिन्न प्रभाव हो सकते हैं:
- एल-नीनो और भारतीय मानसून:
- एल-नीनो के दौरान प्रशांत महासागर के गर्म पानी के कारण वायुमंडलीय स्थितियों में परिवर्तन होता है, जो भारत के दक्षिण-पश्चिम मानसून को कमजोर कर सकता है।
- इससे भारत में वर्षा की मात्रा में कमी हो सकती है, जिससे सूखा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
- ला-नीना और भारतीय मानसून:
- ला-नीना के दौरान प्रशांत महासागर का ठंडा पानी भारतीय मानसून को अधिक सक्रिय कर सकता है।
- इससे भारत में सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है, जो बाढ़ की स्थिति पैदा कर सकती है।
भारतीय कृषि पर प्रभाव
भारतीय कृषि मानसून पर अत्यधिक निर्भर है, इसलिए ENSO की घटनाएँ कृषि पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं।
- एल-नीनो का प्रभाव:
- कमजोर मानसून के कारण जल की कमी हो सकती है, जिससे खेती योग्य भूमि की सिंचाई में कठिनाई होती है।
- फसल उत्पादन में कमी हो सकती है, खासकर खरीफ की फसलें जैसे धान, मक्का, कपास आदि प्रभावित हो सकते हैं।
- सूखा पड़ने की स्थिति में किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
- ला-नीना का प्रभाव:
- अत्यधिक वर्षा के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिससे फसलों को नुकसान हो सकता है।
- पानी की अधिकता से फसलें सड़ सकती हैं और खेती की भूमि की गुणवत्ता खराब हो सकती है।
- लेकिन यदि संतुलित वर्षा हो, तो यह फसलों के लिए लाभदायक भी हो सकता है और उत्पादन बढ़ सकता है।
निष्कर्ष
ENSO की घटनाएँ भारतीय मानसून और कृषि पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। एल-नीनो के कारण कमजोर मानसून और सूखा पड़ सकता है, जबकि ला-नीना के कारण अत्यधिक वर्षा और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसलिए, भारतीय कृषि में ENSO की घटनाओं का अध्ययन और समझ आवश्यक है ताकि समय पर उचित कदम उठाए जा सकें और किसानों को संभावित नुकसान से बचाया जा सके।